बाजार में उतरते चढ़ते भाव न सिर्फ उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं बल्कि किसानों के लिये भी यह बड़ी चुनौती हैं। खेती में नवाचारों के माध्यम से अपने लागत मूल्य को कम कर एवं उत्पादन बढ़ाकर किसान काफी हद तक इसके प्रभावों से बच सकते हैं। इसी का उदाहरण हैं चित्तौड़गढ़ जिले की सुवानिया पंचायत के भवानीपुरा गांव के किसान शोभालाल। जिन्होने अपनी हाईटेक नर्सरी में टमाटर और मिर्च की खेती की जो कि आज उनकी नर्सरी की शोभा हैं।
शोभालाल 2016 से ही टमाटर की खेती कर रहे हैं लेकिन उनका तरीका पारम्परिक रहा हैं जिसमें क्यारी पद्वति से पौधे लगाकर उत्पादन लिया जाता हैं। इस पद्धति में जहां खरपतवार और मौसमी बीमारियों से फसल की लागत बढती हैं वहीं दूसरी तरफ गुणवता में कमी से बाजार में उपज का उचित दाम नहीं मिल पाता हैं। शोभालाल भी इसी चुनौती के साथ टमाटर और मिर्च की खेती करते आ रहे थे।
2022 में उन्होने हिन्दुस्तान जिंक की समाधान टीम के सहयोग से टमाटर की उन्नत खेती की शुरुआत की। जिससे उन्हे ड्रीप और मल्चिंग के प्रयोग से खरपतवार और मौसमी बीमारियों के प्रकोप को कम करने में मदद मिली। कम पानी में अधिक उत्पादन करने की यह तकनीक शोभालाल के लिये वरदान साबित हुई। समाधान परियोजना के तहत हिन्दुस्तान जिंक के सीएसआर द्वारा आसपास के क्षेत्र में किसानों को उन्नत खेती के लिये प्रेरित करने हेतु प्रशिक्षण से लेकर उन्नत खाद-बीज देने का कार्य किया जाता हैं। साथ ही समय समय पर प्रगतिशील किसानों के खेतों का अवलोकन कराकर भी अन्य किसानों को उन्नत खेती के प्रति प्रेरित किया जाता है।
शोभालाल ने नर्सरी में पौधे तैयार करने से लेकर उत्पादन तक का प्रशिक्षण समाधान परियोजना से प्राप्त किया। 3 वर्षों से उन्नत खेती कर रहे शोभालाल टमाटर, खीरा ककड़ी और शिमला मिर्च सहित ब्रोकली जैसी महंगी संिब्जयों की खेती कर आमदनी को लगातार बढ़ा रहे हैं। आज शोभालाल के खेत पर उच्च गुणवता की सब्जियां पैदा हो रही हैं जिसकी बाजार में अच्छी मांग होने से भाव अच्छा मिल जाता हैं।
शोभालाल का कहना है कि उन्हे हाईटेक तकनीक से सब्जियां उगाने की कोई जानकारी नही थी, लेकिन हिन्दुस्तान जिंक की समाधान परियोजना से जुड़ने के बाद उन्हे नर्सरी में पौधे तैयार करने से लेकर उत्पादन लेने तक का प्रशिक्षण मिला, जिससे वो प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में आये, इसके लिये वो हिन्दुस्तान जिंक का आभार जताते हैं।
शोभालाल द्वारा शुरु की गई उन्नत खेती को उनकी अगली पीढ़ी भी आगे बढ़ा रही हैं। इनके पुत्र सीताराम स्वरोजगार के रुप में उन्नत खेती को अपनाकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। उनका कहना हैं कि पहले क्यारी विधि में पानी की जरुरत अधिक होने के साथ साथ कीट, रोग व खरपतवार की समस्या प्रमुख थी लेकिन अब ड्रीप व मल्चिंग से खेती के बाद इन सब समस्याओं से निजात पाने के साथ ही गुणवतापूर्ण उत्पादन और कम लागत से आमदनी बढ़ी हैं जो कि हिन्दुस्तान जिंक की समाधान परियोजना की देन हैं।
शोभा लाल समाधान परियोजना से जुड़ने से पहले भी सब्जी की खेती करते थे लेकिन परम्परागत तरीके से अच्छी आय नही मिल पाती थी जो 50 से 60 हजार प्रति बीघा थी। समाधान परियोजना से जुड़ने के बाद नई तकनीक, तकनिकी सहयोग के माध्यम से काफी अच्छा उत्पादन हुआ तथा वर्ष 2022-23 में 2 से 2.5 लाख की आय प्राप्त हुई तथा समय समय पर समाधान टीम के मार्गदर्शन करते रहने से हाई टेक सब्जी उत्पादन में टमाटर का काफी अच्छा उत्पादन हुआ। इस वर्ष शोभा लाल को टमाटर व मिर्ची का काफी अच्छा भाव मिला टमाटर का 70-80 रूपये प्रति किलो व मिर्ची 50 रूपये किलो के भाव से बिकी और अभी उत्पादन हो रहा है। शोभा लाल ने समाधान परियोजना द्वारा दी गयी तकनीक से लाभ होने से स्वयं के स्तर पर एरिया को भी बढाया है।
शोभालाल की तरह ही हिन्दुस्तान जिं़क की समाधान परियोजना से प्रदेश के 5 जिलों में 30, हजार से अधिक किसान परिवार लाभान्वित हो रहे है। इनमें से 3 हजार से अधिक महिला किसान विभिन्न कृषि नवाचारों को अपनाने के लिये प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्नत कृषि से जुड़ी हैं, जबकि अन्य 5 हजार से अधिक ने बेहतर कृषि और पशुपालन की नवीन तकनीक पर प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसके अलावा, 10 हजार से अधिक किसानों को बेहतर कृषि पद्धतियों पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण हेतु जोडने के साथ ही सरकारी योजनाओं से भी लाभान्वित किया गया है। 15 हजार से अधिक किसानों को हाई-टेक सब्जी की खेती, लो टनल फार्मिंग, ट्रेलिस फार्मिंग, मशरूम फार्मिंग, बागवानी आदि के लिए सहायता दी गयी है।