उदयपुर । नारायण सेवा संस्थान में अक्षय तृतीया पर्व पर आयोजित पांच दिवसीय 'अपनों से अपनी बात' कार्यक्रम के प्रथम दिन संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि जिनके पास सब कुछ है, उन्हें दिव्यांगजन की पीड़ा एकाएक समझ में नहीं आएगी, लेकिन जब वे नजदीक से देखेंगे तो हृदय रो पड़ेगा। परिवार का कोई एक सदस्य भी विकलांग है तो पूरा परिवार ही थम जाता हैं और जब समाज उसका सम्बल बन जाता है तो परिवार का जीवन चक्र फिर गति पकड़ लेता है।
इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रान्तों से पोलियो सुधारात्मक सर्जरी व कटे हाथ-पैरों के लिए कृत्रिम नारायण लिंब प्राप्त करने आये दिव्यांगजन व उनके परिजन भाग ले रहे हैं। अक्षय तृतीया को पुरुषार्थ और त्याग की तिथि बताते हुए उन्होंने समाज के वंचित और पीड़ित वर्ग की सहायता के संकल्प का आव्हान किया।
हम जाति, वर्ग, परिवार से अलग हो सकते हैं लेकिन हममें जो मानवता का रिश्ता है वह सच्चा और प्रगाढ़ है। यही रिश्ता हमें एक-दूसरे की मदद के लिए प्रेरित करता है। सेवा का क्षेत्र ही सर्वोपरि है। सेवा में लाभ-हानि नहीं देखी जाती। सेवा करने वाले के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं। वह शरीर छोड़ने के बाद भी अपना नाम अमिट कर जाता है। इसलिए धन भी वही सार्थक है जो गरीब, दुखियों और बीमारों की सेवा में लगाया जाए। जिसने लोक कल्याण में खर्च किया वह अमर हो गया। उन्होंने सुखी परिवार और समाज के लिए अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त में होने वाले बाल विवाह को सख्ती से रोकने की जरूरत पर जोर दिया।