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नारायण सेवा संस्थान में 'अपनों से अपनी बात'

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24 Apr 25
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 नारायण सेवा संस्थान में 'अपनों से अपनी बात'
 

(mohsina bano)

उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान में आयोजित त्रिदिवसीय संवाद श्रृंखला ‘अपनों से अपनी बात’ के समापन सत्र में संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने सेवा, करुणा और कर्म पर आधारित जीवन दर्शन साझा किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने कर्म करने के लिए स्वतंत्र है, परंतु उनके परिणाम पर उसका अधिकार नहीं होता। परिणाम ईश्वर के हाथ में होते हैं।

उन्होंने कहा कि जिसने जन्म लिया है, उसे पूर्व जन्म के कर्मों का हिसाब अवश्य चुकाना होता है। इस जीवन को सार्थक बनाने के लिए दीन-दुखियों की सेवा आवश्यक है। भूखे को भोजन, प्यासे को पानी, रोगी को दवा, निर्वस्त्र को वस्त्र देना ही सच्चा धर्म है। उन्होंने कहा कि जिसके पास धन है लेकिन दूसरों की सहायता का भाव नहीं, वही वास्तव में सबसे बड़ा गरीब है।

सेवा करने वाले आज भले ऋणदाता बनें, लेकिन यही सेवा संस्कार अगले जन्म में उन्हें पुण्यफल के रूप में प्राप्त होंगे। उन्होंने सभी को सलाह दी कि सेवा का कोई भी अवसर नहीं छोड़ना चाहिए। ईश्वर उन्हीं से प्रेम करता है, जो उसकी सृष्टि में करुणा, सहानुभूति और प्रेम से कार्य करते हैं।

अंत में उन्होंने कहा कि कठिनाइयों के समय साहस और धैर्य रखना चाहिए, बाकी सब ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। सेवा और जीवदया के मार्ग पर चलने वालों को कोई हानि नहीं हो सकती।

इस आयोजन में देशभर से आए दिव्यांगजन, जो निःशुल्क ऑपरेशन, कृत्रिम अंग और कैलीपर्स प्राप्त करने पहुंचे थे, अपने परिजनों के साथ शामिल हुए और इस जीवनदर्शन से प्रेरणा प्राप्त की।


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