GMCH STORIES

सिंधी भाषा दिवस पर संगीतमय संध्या का आयोजन आज, सिंधी गीतों की गूंज से झूलेलाल भवन में सजेगी संगीतमय शाम

( Read 1711 Times)

09 Apr 25
Share |
Print This Page

सिंधी भाषा दिवस पर संगीतमय संध्या का आयोजन आज, सिंधी गीतों की गूंज से झूलेलाल भवन में सजेगी संगीतमय शाम

उदयपुर।राजस्थान सिंधी संगत एवं सुरों की मंडली के संयुक्त तत्वावधान में आज सिंधी भाषा दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष ‘संगीतमय संध्या’ का आयोजन किया होगा । जिसमें सिंधी गीत, संगीत कविता, नृत्य इत्यादि की प्रस्तुतियां होगी। यह कार्यक्रम शाम 5 बजे से 7 बजे तक शक्ति नगर स्थित झूलेलाल भवन में सम्पन्न होगा।
यह आयोजन पूरी तरह सिंधी भाषा और संस्कृति को समर्पित है। कार्यक्रम में प्रस्तुत सभी गीत एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ मुख्यतः सिंधी भाषा में होंगी, ताकि हमारी समृद्ध विरासत को संगीतमय रूप में आत्मसात किया जा सके। आयोजन का उद्देश्य सिंधी समाज को अपनी भाषायी पहचान से जोड़ना और युवा पीढ़ी में अपनी संस्कृति के प्रति गर्व और अपनत्व की भावना जागृत करना है।
दो दिन चला प्रशिक्षण कार्यक्रम -सुरों की मंडली के संस्थापक मुकेश माधवानी ने बताया कि कार्यक्रम को लेकर 8 और 9 अप्रैल को शाम 4 से 6 बजे तक, झूलेलाल भवन, शक्ति नगर में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। जिनका संचालन कैलाश केवलिया ने किया। प्रशिक्षण सत्र में बड़ी संख्या में समाज की प्रतिभाओं ने हिस्सा लिया। सिंधी भाषा महज संवाद का जरिया नहीं, हमारी सांस्कृतिक विरासत है।
पूर्व राज्यमंत्री हरीश राजानी ने कहा कि, हमारी मातृभाषा महज़ संवाद का जरिया नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत, पहचान और आत्मा की अभिव्यक्ति है। सिंधी भाषा दिवस एक साधारण कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है जो हमारी जड़ों से जोड़ता है और भावी पीढ़ी को अपनी धरोहर से परिचित कराता है।
मुकेश माधवानी ने कहा कि संगीत ऐसी भाषा है जो बिना शब्दों के भी दिलों को छू जाती है। हम सिंधी संगीत के ज़रिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोने और युवाओं के मन में भाषा के प्रति प्रेम जगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह संध्या केवल गीत-संगीत का मंच नहीं, बल्कि हमारी स्मृतियों और सांस्कृतिक आत्मा का जीवंत उत्सव है।
कैलाश नेभनानी ने समाज के सभी सदस्यों से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन में उपस्थित होकर इसे सफल बनाएं। प्रताप राय चुग ने कहा कि, सिंधी भाषा दिवस जैसे आयोजनों से हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान को सहेजने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की प्रेरणा मिलती है। भारत खत्री ने कहा कि इस संगीतमय कार्यक्रम के माध्यम से युवा वर्ग को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़ने का यह प्रयास सराहनीय है। अशोक पाहुजा ने कहा कि, सिंधी गीतों और भावपूर्ण प्रस्तुतियों का यह संगम दर्शकों को एक यादगार और भावनात्मक अनुभव प्रदान करेगा। हेमंत भागनानी , कैलाश नेभनानी एवं कमलेश राजानी ने भी आयोजन को लेकर अपने विचार प्रकट किए।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion
Subscribe to Channel

You May Like