उदयपुर। राजस्थान सिंधी संगत एवं सुरों की मंडली के संयुक्त तत्वावधान में आगामी 10 अप्रैल को सिंधी भाषा दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष ‘संगीतमय संध्या’ का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम शाम 5 बजे से 7 बजे तक शक्ति नगर स्थित झूलेलाल भवन में सम्पन्न होगा। इस अवसर पर सिंधी संस्कृति, भाषा और संगीत की समृद्ध विरासत को आत्मसात करने का एक अनूठा प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम में सिंधी लोकगीतों के साथ-साथ लोकप्रिय हिन्दी गीतों की भी भावविभोर कर देने वाली प्रस्तुतियाँ होंगी।
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आयोजकों का उद्देश्य सिंधी समाज को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना और युवा पीढ़ी में अपनी भाषा व परंपराओं के प्रति गर्व और अपनत्व की भावना जगाना है।
पूर्व राज्यमंत्री हरिश राजानी ने इस आयोजन को सामाजिक चेतना का हिस्सा बताते हुए कहा, “सिंधी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। इस प्रकार के आयोजन नई पीढ़ी को अपनी पहचान से जोड़ते हैं और हमें एकजुट करते हैं।
वहीं, सुरों की मंडली के संस्थापक मुकेश माधवानी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि संगीत के माध्यम से हम अपनी संस्कृति को जीवंत रखें। यह संध्या केवल गीतों का आयोजन नहीं, बल्कि हमारी विरासत का उत्सव है। कैलाश नेबनानी ने समाजबंधुओं से निवेदन किया है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारें और इस प्रयास को सफल बनाएं।
प्रताप राय चुग ने कहा कि सिंधी भाषा दिवस जैसे आयोजन हमारी संस्कृति की पहचान को सहेजने की प्रेरणा देते हैं। समाज के सभी वर्गों को इसमें सहभागी होना चाहिए। भारत खत्री ने कहा कि इस संगीतमय संध्या के माध्यम से युवा वर्ग को अपनी जड़ों से जोड़ना अत्यंत सराहनीय प्रयास है। अशोक पाहुजा ने कहा, सिंधी गीतों और हिन्दी प्रस्तुतियों का संगम निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव बनेगा। यह हमारी विरासत को नए आयाम देगा।
हेमंत भागनानी, कैलाश नेबनानी एवं कमलेश राजानी ने भी आयोजन के प्रति अपनी शुभकामनाएं प्रकट करते हुए इसे समाज की एकता और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देने वाला सराहनीय प्रयास बताया।