उदयपुर। उदयपुर की ऐतिहासिक झीलों की बिगड़ती स्थिति को लेकर होटल एसोसिएशन उदयपुर के उपाध्यक्ष और बिजनेस सर्कल इंडिया टूरिज्म के चार्टर अध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल को पत्र (पत्र संख्या: बीसीआई/2025-26/41, दिनांक 18/02/2025) लिखकर झीलों की गंभीर उपेक्षा और प्रदूषण पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
राणावत ने पत्र में पिछोला, कुम्हारिया तालाब, रंग सागर, स्वरूप सागर और फतेह सागर सहित उदयपुर की प्रमुख झीलों की बदहाल स्थिति, गंदे पानी की निकासी, झीलों के पानी में पड़ी पुरानी बंद सीवेज लाइनों, निष्क्रिय गटरों, सीमेंट की छतरियों और झीलों में सीवेज के बहाव का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि झीलों में सीधे बहने वाला सीवेज न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है बल्कि इससे नागरिकों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो रहा है, क्योंकि यही जल सार्वजनिक जलापूर्ति विभाग (पीडबल्यूडी) द्वारा पीने के पानी के लिए लिया जाता है।
राणावत ने स्वच्छ भारत और वाटर विज़न 2047 की भावना के अनुरूप झीलों के संरक्षण को अनिवार्य बताते हुए निम्नलिखित मांगें रखीं:
1. केंद्र सरकार द्वारा उच्च स्तरीय निरीक्षण टीम भेजी जाए, जो प्रदूषण और ढांचागत खामियों की विस्तृत जांच करे।
2. सीवेज और ड्रेनेज सिस्टम का तुरंत आधुनिकीकरण हो, ताकि झीलों में गंदे पानी का प्रवाह बंद किया जा सके।
3. स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही तय की जाए, ताकि झीलों के संरक्षण में कोताही न बरती जाए।
4. झीलों के पुनरुद्धार और सतत संरक्षण के लिए विशेष केंद्रीय फंड आवंटित किया जाए।
जल संसाधन विभाग की सचिव से हुई भेंट व चर्चा, शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन
इसके साथ ही राणावत ने जल संसाधन विभाग की संयुक्त सचिव देबाश्री मुखर्जी को भी पत्र (पत्र संख्या: बीसीआई/2025-26/42, दिनांक 18/02/2025) प्रेषित किया और अनंता रिसोर्ट में वाटर विज़न 2047 के दौरान उनके साथ चर्चा कर झीलों की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। इस चर्चा में उदयपुर सिटिज़न्स सोसाइटी के क्षितिज कुंभट भी मौजूद रहे।
बैठक सकारात्मक और परिणामदायक रही, जिसमें संयुक्त सचिव मुखर्जी ने जल्द राहत और समयबद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि उदयपुर की झीलों का संरक्षण केंद्र सरकार की प्राथमिकता में रहेगा और इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाए जाएंगे।
राणावत ने बताया कि इस पत्र को प्रधानमंत्री, राजस्थान के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (पर्यटन), संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त सहित जल शक्ति मंत्रालय के सभी आईएएस सचिवों को भी सीसी किया गया है, ताकि झीलों के संरक्षण पर बहुस्तरीय कार्ययोजना बनाई जा सके।
उदयपुर की जनता को उम्मीद है कि केंद्र सरकार और प्रशासन जल्द से जल्द इस दिशा में ठोस कदम उठाएंगे, ताकि शहर की झीलें अपने मूल स्वरूप में लौट सकें और “झीलों की नगरी” की पहचान को बचाया जा सके। गौरतलब है कि राणावत द्वारा धरातल पर विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर पर्यटन हेतु निरंतर सकारात्मक कार्य किया जा रहा है ।