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पशुधन आर्थिक प्रगति का मूलाधार हैः अजोला मैन डॉ हर्ष

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06 Feb 25
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शबनम बानों

पशुधन आर्थिक प्रगति का मूलाधार हैः अजोला मैन डॉ हर्ष

उदयपुर। भारतीय अर्थव्यवस्था मे पशुधन लगभग 21 मिलियन लोगों की आजीविका निर्भर है जिसमे 16 प्रतिशत छोटे ग्रामीणों की है।भारत पशुपालन पर विश्व का पहला स्थान रखता है जितना दुग्ध एवं अन्य उत्पाद मिलना चाहिये वितना नही मिल रहा है साथ ही पशुपालको का झुकाव इससे दूर हटता जा रहा है क्योंकि प्रति पशु से उत्पादता कम होना और प्रति पशु पर खर्च अधिक एवं दूध की गुणवत्ता में कमी आना है यह हमारे लिये अति विचारणीय पहलू है।यदि पशुपालन संबंधी वैज्ञानिक, आर्थिक एवं व्यावसायिक पहलुओं के प्रति जागरूक किया जाय तो युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकती है। इसके लिये अजोला मैन डॉ एस एल हर्ष ने पानी पर तैयार ग्रास अजोला एवं अजोला के उत्पाद तैयार किये पिछले 15 वर्षों से हज़ारों पशुपालको एवं ग्रामीणों को निःशुल्क दे रहे है और उन्हें ट्रेनिंग दे रहे अजोला पशुओं को दिन में आधा किलो से 20 प्रतिशत दूध में बढ़ोतरी ,पशु स्वस्थ, किसी तरह की बीमारी नही एवं पशु आहार का खर्चा कम एवं पशुपालको की इनकम अधिक जिससे वो आर्थिक रूप से मजबूत हुवे क्योकि अजोला में सभी पशुआहार के तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते जिनके कारण उनको बाजार से कोई पशु आहार खरीदने की जरूरत नही होती अजोला उत्पादन में खर्च शून्य के बराबर है एवं पूरे वर्ष उगाया जा सकता है कोई देख रेख की जरूरत नही।
अजोला मैन डॉ एस एल हर्ष एवं डॉ विक्रम व्यास ने पशुधन एवं डेयरी विकास पर किताब प्रकाशित की ताकि पशुपालको को प्रबंधन, संवर्धन, प्रजनन, उत्तम चारा, सही रख रखाव के बारे में बताया ताकि कम खर्च में अधिक दूध एवं अच्छे गुणवत्ता का दूध मिल सके।इस किताब में राजस्थान की नस्लो के रख  रखाव एवं संवर्धन के बारे में बताया गया है।
डॉ हर्ष ने बताया कि भारत सरकार ग्रामीण स्वरोजगार ट्रेनिंग निःशुल्क करती है इसके लिए हर जिले में आरसेटी संस्थान बैंक के माध्यम से खोल रखी है। आज डॉ हर्ष ने उदयपुर के आईसीआईसीआई आरसेटी के निदेशक अमर दीक्षित को किताब भेट की ताकि यह किताब पशुपालकों के काम आ सके।डॉ हर्ष आज उदयपुर के झाडोल एवं पलासिया में ग्रामीणों को पशुपालन तथा डेयरी के बारे में विस्तृत जानकारी दी।


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