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गायत्री संस्थान ने बाल विवाह रोका, समाज को जागरूक किया

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20 Jan 25
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गायत्री संस्थान ने बाल विवाह रोका, समाज को जागरूक किया

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू होने के बाद भी, लगभग दो दशक बाद भी बाल विवाह पूरी तरह से बंद नहीं हो पाया है। अक्षय तृतीया जैसे अवसरों पर आज भी बाल विवाह की घटनाएं सामने आती हैं। इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठन गायत्री सेवा संस्थान भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में कार्य किया जाता रहा है। पिछले एक वर्ष में उदयपुर जिले में कुल 14 बाल विवाह रुकवाए गए हैं और पहली बार अधिनियम के तहत निषेधाज्ञा भी जारी की गई थी। संस्थान ने पंचायत स्तर पर बाल विवाह रोकने के लिए सक्रिय किशोर- किशोरियों के समूह बनाए हैं, ताकि समय रहते जानकारी मिल सके और बाल विवाह को रोका जा सके।

इसी कड़ी में, गोगुन्दा पंचायत के ईसवाल गांव में नाबालिग बालिका के बाल विवाह की सूचना संस्थान को प्राप्त हुई। गायत्री सेवा संस्थान ने गोगुन्दा पुलिस थाने के बाल कल्याण अधिकारी मोहन सिंह के साथ मिलकर मौके पर पहुंचकर बाल विवाह को रोका और परिवार को नोटिस जारी किया। परिवार को पाबंद किया गया कि जब तक बालिका 18 वर्ष की नहीं हो जाती, तब तक उसका विवाह नहीं किया जाएगा।

कार्यवाही के दौरान जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलाइंस के प्रतिनिधि, आर-केग की टीम और गायत्री सेवा संस्थान के प्रतिनिधि नितिन पालीवाल और विवेक पालीवाल भी उपस्थित थे।


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