उदयपुर,– मकर संक्रांति के पावन अवसर पर उदयपुर के प्रसिद्ध मिनिएचर आर्टिस्ट चंद्रप्रकाश चित्तौड़ा ने अपनी अद्वितीय कला से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कागज और चॉक से 10 सूक्ष्म पतंगें, दो चकरी मय डोर और 24,000 मोतियों से सजी एक भव्य पतंग का निर्माण किया। इस अनोखी कलाकृति के माध्यम से उन्होंने शहरवासियों को शुभकामनाएं प्रेषित की।
इन अनूठी कलाकृतियों को श्रीमेवाड़ सग साजी लोकसेवा संस्थान परिसर में प्रदर्शित किया गया, जहां लेंस के माध्यम से इनकी बारीकियों का अवलोकन किया गया। इस अवसर पर क्षत्रिय राजपूत समाज के समाजसेवी रतनसिंह चुंडावत ने इन सूक्ष्म कलाकृतियों का विमोचन किया और कलाकार चंद्रप्रकाश चित्तौड़ा के कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की। चुंडावत ने कहा कि यह कला न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि उदयपुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवंत रखती है।
कुंवर विजय सिंह कच्छवाहा, जो संस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने इस मौके पर जानकारी देते हुए बताया कि चित्तौड़ा की कलाकृतियां मकर संक्रांति की भावना को व्यक्त करती हैं। यह पतंगें न केवल त्योहार के उत्साह का प्रतीक हैं, बल्कि एकता, उमंग और उन्नति का संदेश भी देती हैं।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
कागज और चॉक से बनीं सूक्ष्म पतंगें, जिनकी बारीकी अद्भुत थी।
24,000 मोतियों से सजी भव्य पतंग, जो कला की उत्कृष्टता को दर्शाती है।
दर्शकों और गणमान्य व्यक्तियों ने चित्तौड़ा के कार्य की सराहना की।
उदयपुर की सांस्कृतिक और कलात्मक पहचान को बढ़ावा देने वाला आयोजन।
कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि परंपरा और कला का गहरा संबंध है। इस अनोखे आयोजन ने न केवल मकर संक्रांति के उत्सव को नई ऊंचाई दी, बल्कि उदयपुर की पहचान को एक बार फिर कला और संस्कृति के केंद्र के रूप में मजबूत किया।
यह आयोजन कला और संस्कृति प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ और चंद्रप्रकाश चित्तौड़ा की रचनात्मकता ने एक बार फिर शहर का गौरव बढ़ाया।