वाटर शेड एवं सॉइल कंजर्वेशन के कार्यालय में जलवायु मित्र डॉक्टर पी सी जैन ने जिले के इंजीनियर बंधुओ के समक्ष रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग की विभिन्न तकनीक पर अपनी प्रेजेंटेशन देते हुए कहा कि हमें सस्ती, सरल, तकनीक अपनाकर वर्षा जल का संरक्षण करना चाहिए।
उपलब्ध सेंड वाटर फिल्टर एक सस्ती सरल एवं न्यूनतम रखरखाव वाली तकनीक है जिसे ऊंची से ऊंची बिल्डिंग से लगाकर छोटे से छोटे भवन पर लगाकर वहां स्थित भूजल स्त्रोत जैसे कुआ ,बावड़ी, हैंडपंप एवं ट्यूबवेल को रिचार्ज किया जा सकता है।
इस तकनीक को वे पिछले 25 वर्षों से देश भर के विशेष कर उदयपुर संभाग में अपने निर्देशन में लगवा चुके हैं और वह सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैं। उन्होंने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, स्कूल, हॉस्टल्स, जैन उपासरे, पुलिस स्टेशन, हॉस्पिटल,भुजल विभाग इत्यादि विभिन्न भवनों पर अपने निर्देशन में उदयपुर,जयपुर,अजमेर,कोटा राजसमंद, डूंगरपुर, सूरत, दिल्ली, मुंबई, सिरोही, भीलवाड़ा इत्यादि स्थानों में लगे इस सैंड फिल्टर की कार्य प्रणाली समझाइ। इनमें से अधिकतम नगर की एकमात्र मेवाड़ ग्रुप कंपनी के हस्तीमल बापना चैरिटेबल ट्रस्ट डॉडरके सी एस आर फंड से लगवाए गए हैं।
इस सैंड फिल्टर को सैंड फिल्टर को देवास में में तत्कालीन कलेक्टर एम मोहन राव रुड़की के इंजीनियर अखिलेश अग्रवाल एवं जियोलॉजिस्ट सुनील चतुर्वेदी ने 1998 में बनाया था।
उन्होंने उपस्थित इंजीनियर बंधुओ से अभी से रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की अपील की ताकि कभी भी वर्षा आवे तो उसका जल भूमि जल में समाहित होती रहे और यह जल एफ डी बढ़ती रहे अर्थात भूमि जल की मात्रा बढ़ती रहे। जिस तरह से हमारे पूर्वज राजा महाराजा ने भावी पीढ़ी के लिए उदयपुर में 9 जिले बनवाई कई कुये और बावड़िया बनवाई क्या हम हमारे द्वारा ही बनाए गए भूमिजल के जल स्रोतों को भी सदैव बने रहे ऐसा प्रबंध नहीं कर सकते?
प्रेजेंटेशन के अंत में सभी इंजीनियर बंधुओ को कम से कम एक जल स्रोत को इस वर्ष कल पूर्व रिचार्ज करने की जल मित्र डॉक्टर पी सी जैन जैन ने शपथ भी दिलाई,। कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर एक जल गीत सामूहिक रूप से गाया।
डॉक्टर पीसी जैन का परिचय विभाग अध्यक्ष अतुल जैन ने किया और धन्यवाद ज्ञापित किया।