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शिक्षा का उद्देश्य विचारशीलता और मूल्यपरकता का निर्माण हो

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15 Jan 25
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शिक्षा का उद्देश्य विचारशीलता और मूल्यपरकता का निर्माण हो

बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति प्रो. देवस्वरूप ने कहा कि शिक्षा को केवल व्यावसायिक सफलता का माध्यम नहीं, बल्कि विचारशीलता और मूल्यपरकता का आधार बनाना अनिवार्य है। वे रविवार को जनार्दन राय नगर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित कर रहे थे।

प्रो. देवस्वरूप, भारतीय शैक्षिक प्रशासक और पूर्व कुलपति, डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय जयपुर, ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में उनकी भूमिका एक विशेष अवसर और चुनौती रही है। शिक्षा हमेशा से समाज के विकास का आधार रही है, और महात्मा गांधी ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की थी, जो उनके विचारों का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसी दृष्टि से 1937 में राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना हुई थी।

उन्होंने यह भी कहा कि आज हमारे भारतीय छात्र और विशेष रूप से भारतीय महिलाएं वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। राजस्थान विद्यापीठ को यूजीसी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मापदंडों पर खरा उतरने का श्रेय प्रो. सारंगदेवोत को जाता है।

प्रो. देवस्वरूप ने शिक्षा के उद्देश्य पर बल देते हुए कहा कि पहले शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तित्व निर्माण था, लेकिन आज यह जॉब-केंद्रित हो गई है, जिससे शिक्षा और विचारशीलता के बीच एक अंतराल पैदा हो गया है। यही कारण है कि आज के शिक्षित युवाओं में अपराध की प्रवृत्ति देखी जा रही है।

उन्होंने कहा कि शिक्षक का दायित्व केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि वह स्वयं अपने मूल्यों का उदाहरण बनकर विद्यार्थियों को प्रेरित करे। शिक्षा को आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास के निर्माण का माध्यम बनाना चाहिए।


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