उदयपुर, तीन दिवसीय उदयपुर स्टोरीटेलिंग फेस्टिवल 2025, कहानी कहने की मौखिक परंपरा का जश्न मनाते हुए आज सम्पन्न हुआ। यह फेस्टिवल मां माय एंकर फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य कहानी कहने की प्राचीन विधा को पुनर्जीवित करना है। इसमें देश-विदेश के नामी कहानीकारों, लेखकों और कलाकारों ने भाग लिया।
महोत्सव में हर आयु वर्ग के लिए कहानियों का संगम देखने को मिला। बच्चों के लिए प्रेरक कहानियों से लेकर लोककथाओं, व्यक्तिगत अनुभवों और जुमलेबाजी तक, हर शैली ने दर्शकों का मन मोहा। विशेष वर्कशॉप्स के माध्यम से दृष्टिबाधित बच्चों को छूकर महसूस करने के जरिये कहानी कहने की कला सिखाई गई।
अंतिम दिन “कहानीगंज” और “जमघट” नामक सत्रों में विभिन्न प्रस्तुतियां दी गईं। प्रियंका चटर्जी ने “मंकी टेम्पल” की पौराणिक कथा सुनाई, जिसमें प्रेम, गलतफहमियां और शाही षड्यंत्र का अनूठा संगम देखने को मिला। “कहानीवाला रजत” ने हास्य और पर्यावरण जागरूकता पर आधारित “मछली जल की रानी है” की पुनर्कल्पना प्रस्तुत की। नेहा बहुगुणा की उत्तराखंड आधारित समकालीन लोककथा और श्वेता नाडकर्णी द्वारा रोमियो-जूलियट की नयी दृष्टि से प्रस्तुति ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
राजस्थानी संगीत और नृत्य के फ्यूज़न प्रदर्शन ने सांस्कृतिक विविधता को और जीवंत कर दिया। कहानीकार मकरंद देशपांडे ने अल्बर्ट आइंस्टाइन के जीवन पर एक प्रेरणादायक प्रस्तुति दी, जिसमें हास्य और गंभीरता का अनूठा संतुलन था।
सह-संस्थापक सुष्मिता सिंघा ने कहा, “यह महोत्सव विविध आवाज़ों को एक मंच पर लाकर कहानी कहने की शक्ति का उत्सव मनाता है। इसका उद्देश्य न केवल परंपराओं को जीवित रखना है, बल्कि नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देना भी है।”