उदयपुर। उदयपुर में संस्कृतभारती द्वारा आयोजित प्रांत स्तरीय प्रबोधन शिविर में छात्र-छात्राएं न केवल संस्कृत भाषा का ज्ञान अर्जित कर रहे हैं, बल्कि पद्य निर्माण की कला भी सीख रहे हैं। 8वीं कक्षा से लेकर कॉलेज तक के विद्यार्थियों का यह समूह संस्कृत के माध्यम से सृजनात्मक कौशल विकसित कर रहा है।
फतहपुरा स्थित आलोक स्कूल के परिसर में चल रहे इस शिविर में प्रतिभागियों को पद्य बनाने के नियमों को सरलता से समझाया जा रहा है, जिसके बाद वे राम, मकर संक्रांति और गणतंत्र दिवस जैसे विषयों पर अपने श्लोक रचने में सफल हो रहे हैं। यह नवाचार न केवल उनकी सृजनात्मकता को निखार रहा है, बल्कि संस्कृत भाषा के प्रति उनके रुझान को भी बढ़ा रहा है।
इस अवसर पर वर्ग का अवलोकन करने की दृष्टि से संघ के विभाग संचालक हेमेंद्र श्रीमाली और व्यवस्था प्रमुख पंकज पालीवाल ने भी संस्कृत ज्ञान की दशा में
अपने अनुभव साझा किये।
इससे पूर्व ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा ने भी वर्ग का अवलोकन कर छात्रों को संस्कृत भाषा को मातृभाषा समझकर संस्कृत में उपलब्ध ज्ञान के भडार
का महत्व बताकर संस्कृत को व्यवहारिक भाषा बनाने की और प्रेरित किया। साथी अंबा माता थानाधिकारी डॉक्टर हनुमत सिंह राजपुरोहित न भी
छात्रों को संस्कृत को सर्वश्रेष्ठ भाषा के रूप में पढ़कर गीता ज्ञान और रामायण के संस्कारों से अवगत कराते हुए संस्कृत को व्यवहारिक भाषा बनाने के साथ-साथ गीता ज्ञान और संस्कृत को संस्कारों की पूंजी बताकर सभी को सौभाग्यशाली बताया।
संयोजक नरेंद्र शर्मा ने बताया कि सुबह साढ़े पांच बजे से रात्रि दस बजे तक शिविरार्थियों की दिनचर्या पूरी तरह अनुशासित और व्यस्त रहती है। विभिन्न सत्रों में भाषा ज्ञान, व्याकरण, और श्लोक रचना के साथ-साथ संस्कृत साहित्य का भी अध्ययन कराया जा रहा है। शिविर का मुख्य उद्देश्य युवाओं में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि जागृत करना और इसे दैनिक जीवन में उपयोगी बनाना है। भोजन हो या आपस की बातचीत, सभी संस्कृत में वार्तालाप कर रहे हैं, त्रुटि होने पर एक-दूसरे को सुधार भी रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 4 जनवरी की शाम को समारोह का आयोजन होगा, जिसमें शिविरार्थी अपने सीखे हुए गुरों पर आधारित प्रस्तुतियां देंगे। यह समारोह न केवल उनकी प्रगति का प्रदर्शन करेगा, बल्कि अन्य विद्यार्थियों को भी प्रेरित करेगा। शिविर का समापन 5 जनवरी को प्रात: वेला में दीक्षांत के साथ होगा।
शिवरात्रियों में मुख्य प्रशिक्षक मीठा लाल, डॉ मानाराम और डॉ मधुसूदन ने प्रशिक्षण दिया।
इस अवसर पर मंगल कुमार जैन, डॉ हिमांशु भट्ट, रेखा सिसोदिया, श्रीयांश कंसारा, नरेंद्र शर्मा, दुष्यंत नागदा, डॉ रेनू पालीवाल, दुर्गा कुमावत, कुलदीप जोशी आदि ने शिविर संचालन में सहयोग की भूमिका में रहे।