-पाच साल बाद उदयपुर में प्रांतीय भाषा प्रबोधन वर्ग का हो रहा आयोजन।
उदयपुर, संस्कृत भारत की अखंडता का आधार है।
यह बात यहां संस्कृतभारती चित्तौड़ प्रांत के प्रांत स्तरीय आवासीय भाषा प्रबोधन वर्ग के शुभारंभ पर मुख्य वक्ता संस्कृतभारती के क्षेत्र संगठन मंत्री कमल शर्मा ने कही। आलोक स्कूल, फतहपुरा में शुरू हुए वर्ग में उन्होंने कहा कि यह आयोजन संस्कृत को जीवन का हिस्सा बनाकर इसके महत्व को समाज में पुनः स्थापित करने की दिशा में एक प्रभावी कदम है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि आलोक संस्थान के निदेशक डॉ कुमावत ने अपने कुछ भाव संस्कृत में व्यक्त करते हुए तथा संस्कृत के प्रचार प्रसार में समाज की अहम भूमिका को महत्व देते हुए कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है।
सह संयोजक नरेंद्र शर्मा ने बताया कि 5 जनवरी की सुबह तक चलने वाला यह शिविर पांच वर्षों के अंतराल में उदयपुर में हो रहा है। इसमें संगठन की चित्तौड़ प्रांत इकाई के अंतर्गत आने वाले राज्य के 12 जिलों के 180 छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। इनमें 50 बालिकाएं हैं। उन्होंने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य संस्कृत के प्रचार-प्रसार और इसे रोचक व व्यावहारिक बनाने पर केंद्रित है। शिविरार्थी खेल-खेल में संस्कृत सीखने के साथ-साथ व्याकरण शास्त्र, स्तोत्र पाठ, योगाभ्यास, भाषा क्रीड़ा और प्रतिभा प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं।
प्रांत सह मंत्री मधुसुधन ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन और बालकों द्वारा मंगलाचरण से हुआ। मुख्य अतिथि आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत, मुख्य वक्ता संस्कृतभारती के क्षेत्र संगठन मंत्री कमल शर्मा, विशिष्ट अतिथि प्रांत मंत्री परमानंद शर्मा, संस्कृत शिक्षा के पूर्व संभागीय अधिकारी डॉ. भगवती शंकर व्यास थे।
परमानंद शर्मा ने संस्कृतभारती के प्रकल्पों की जानकारी दी। संचालन शाहपुरा के जगदीश शर्मा और सावर के अजय प्रजापत ने किया। अतिथि स्वागत प्रांत संपर्क प्रमुख डॉ. यज्ञ आमेटा ने किया, जबकि काव्यगीत महानगर सह संपर्क प्रमुख श्रेयांश कंसारा ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख मीठालाल माली ने किया।
सह मंत्री चैन शंकर ने बताया कि संस्कृतभारती के शिविर तीन स्तरों में आयोजित होते हैं। इस प्रांत स्तरीय भाषा प्रबोधन वर्ग में केवल वही छात्र भाग ले सकते हैं, जिन्होंने प्रथम स्तर पूर्ण कर लिया है या संभाषण में सक्षम हैं। इस आयोजन से प्रतिभागियों में संस्कृत के प्रति नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा।
संस्कृतभारती पिछले 43 वर्षों से भारत सहित विश्व के 26 देशों में संस्कृत के प्रचार-प्रसार में सक्रिय है। संगठन का उद्देश्य समाज में संस्कृत के प्रति रुचि और जागरूकता को बढ़ाना है। इस आयोजन से प्रतिभागियों में संस्कृत भाषा के प्रति लगाव और प्रेरणा का नया संचार होगा।
सोमवार को शिविर में खेल-खेल में संस्कृत, क्रीड़ा सत्र, संभाषण सत्र, व्याकरण सत्र, संस्कृत संध्या का सत्र रहा जिसमें गीता अध्ययन व पारायण का अभ्यास कराया गया। भोजन भी भोजन मंत्र के साथ संस्कृत में पर्यवेषण के साथ संपन्न हुआ।
इस अवसर पर
संजय शडिल्य, नरेंद्र शर्मा , चैन शंकर दशोरा , रेखा सिसोदिया , मंगल जैन, हिमांशु भट्ट, श्रेयांश कंसारा, विकास डांगी , डॉ रेनू पालीवाल, डॉ. मानाराम चौधरी, डॉ. मीठालाल माली, राजेन्द्र शृंगी, शिवराज गौतम, रविन्द्र रूपावत, अजय प्रजापति, देवेन्द्र जाट
सादर प्रकाशनार्थ । ॐ