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अपना घर आश्रम उदयपुर में 3 माह बाद हुआ भाई का भाई से मिलन

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30 Dec 24
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अपना घर आश्रम उदयपुर में 3 माह बाद हुआ भाई का भाई से मिलन

उदयपुर | बेदला स्थित अपना घर आश्रम उदयपुर में अक्टूबर माह में रेस्क्यू अभियान के अंतर्गत श्री परतू प्रभु जी को डूंगरपुर से रेस्क्यू कर  सेवा,उपचार और पुनर्वास हेतु भर्ती किए गए थे। आश्रम सचिव गोपाल कनेरिया ने बताया कि प्रवेश के समय प्रभुजी ने अपना नाम परतू बताया। आश्रम में निरंतर सेवा,उपचार और पारिवारिक माहौल में रहकर कॉन्सलिंग के दौरान अपना मूल नाम विशराम होना बताया। तलाशी के दौरान प्रभुजी के पास से एक कीपैड मोबाइल बंद हालत में मिला जिसको चालू करवाकर उनके परिवार वालों के नंबर प्राप्त कर संपर्क किया तब परिवार वालों को फोन से वीडियो कॉल कर पुष्टि की। सूचना मिलते ही परतू उर्फ विशराम प्रभुजी को को लेने इनके भाई सागरमल , पड़ोसी भाई बागलेश्वर तथा इनके गांव के अन्य परिजन उदयपुर आश्रम में आए। 
    आश्रम प्रभारी सुल्तान सिंह ने बताया कि भाई सागर मल ने बताया कि मेरे भाई विश राम भेड़ चराने का काम करने के लिए पाली गए थे लेकिन ये डूंगरपुर कैसे पहुंच गए ये पता नहीं। प्रभु जी ने स्वयं बताया कि मुझे जो भीड़ चराने का काम करने के लिए लेकर आया था उसने वह काम ना कर कर कोई और काम करना चाह लेकिन वह काम मेरे से हो ना सका और मुझे घर जाने के लिए बोल दिया। दिमागी हालत खराब होने के कारण यह डूंगरपुर पहुंच गए जहां से अपना घर आश्रम उदयपुर की रेस्क्यू टीम द्वारा उन्हें आश्रम में भर्ती किया गया जहां इनका निरंतर उपचार एवं सेवाएं जारी रही । 
 आश्रम की आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर आश्रम सचिव गोपाल जी कनेरिया द्वारा प्रभु जी का तिलक लगाकर एवं उपरना पहनाकर पड़ेगी हर्षौल्लास के साथ श्री परतू विश्राम प्रभु जी को इनके भाई श्री सागरमल एवं उनके अन्य परिजनों के साथ उनके बताए पते ग्राम प्रतापपुरा जिला प्रतापगढ़ राजस्थान के लिए विदा किया गया।
आश्रम प्रभारी सुल्तान सिंह ने जानकारी दी कि आज दिनांक 29 - 12 - 2024 को श्रीमान विशाल जी केलवा राजसमंद की सूचना पर एक आश्रयहीन पुरुष प्रभु जी को केलवा चौपाटी राजसमंद से रेस्क्यू कर सेवा, उपचार एवं देखभाल हेतु अपना घर आश्रम उदयपुर में भर्ती किया गया। सूचनादाता एवं वहां के लोगों से जानकारी मिली कि यह लगभग दो-तीन माह से यही कचरे के पास पड़ा रहता है रात्रि में भी यहीं सोता है । हम इसे खाना पीना दे देते हैं। इनकी भाषा समझ नहीं आती है। वर्तमान में आश्रम में 50 प्रभुजी निवासरत हैं।


 


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