उदयपुर। श्री कृष्ण आर्ट एंड क्राफ्ट्स की ओर से नगर निगम प्रांगण में चल रहा सिल्क ऑफ़ इंडिया मेला अब अपने यौवन पूरे पर है। यहां पर मेला प्रारंभ होने से लेकर मेला समाप्ति तक सैकड़ो लोगों की भीड़ देखी जा रही है। सिल्क मेले में आए व्यापारियों के चेहरों के रौनक बता रही है की उदयपुर में वह जो उम्मीद और अपेक्षाएं लेकर आए थे वह उनकी पूरी हो रही है।
कई व्यापारियों ने बताया कि उदयपुर में सिल्क के प्रति लोगों का आकर्षण लगातार बढ़ता जा रहा है। सिल्क मेले में कई व्यापारी ऐसे हैं जो उदयपुर में जब सिल्क मेले की शुरुआत हुई थी तब से लेकर आज तक इस मेले में अपनी स्टोल लगाते आ रहे हैं। कई व्यापारियों ने बताया कि हम सालों से उदयपुर में आ रहे हैं। हर बार पिछले साल से अगले साल में हमें लोगों का बहुत प्यार मिलता है। इस बार तो सिल्क के प्रति शहर वासियों का उत्साह देखते ही बन रहा है।
ऐसे ही जोधपुरी बंधेज साड़ियों की स्टाल सजा कर बैठे साहू राम ने बताया कि वह इस मेले में लगातार उदयपुर आ रहे हैं। जब पहली बार वह उदयपुर आए तो उन्हें जो अनुभव हुआ उसके बाद वह कभी भी उदयपुर आने से नहीं चूकते। उन्हें हमेशा उदयपुर के इस सिल्क मेले का इंतजार रहता है। इस बार भी वह जब से मेले में आए हैं तब से लेकर आज तक उन्होंने इतने बंधेज साड़ियां और सूट भेज दिए हैं जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी लेकिन विश्वास नहीं था। लेकिन आज वह बहुत खुश हैं की उनका व्यापार इस मेले में बहुत अच्छा चल रहा है।
उनके पास जोधपुरी बान्धनी साड़ी सूट है। इन शादियों और सूटों की खासियत है हाथ से टाई एण्ड डाई यानी हाथ से ही उन साड़ियों को बांधना और उनके कलर करना। उनके पास 850 से 3500 तक मूल्य की साड़ियां सूट हैं। हाथ से बनाई हुई इन साड़ियों का ऐसा पक्का कलर होता है कि चाय साड़ियां फट जाएगी लेकिन कलर नहीं जाएगा। नही जाएगा। वह जिसे भी यह साड़ियां बेचते हैं वह उन्हें इस बात की गारंटी देते हैं कि इसका कलर नहीं जाएगा। और अगर कलर गया तो उस साड़ी के बदले बाद दूसरी साड़ी देते हैं । हालन के साथ में उन्होंने यह भी कहा थी उन्हें गारंटी देने में दिक्कत इसलिए नहीं होती है क्योंकि सर्दियों का कलर कभी जाता ही नहीं है। अभी तक तो उन्हें किसी भी साड़ी को रिप्लेस करने का मौका नहीं पड़ा है। बंधेज साड़ियां रोज पहनो और रोज धो लो। उनके पास तीन तरह की वैरायटी है जिनमें सिल्क, सिफोन और छिनोन। तीन तरह की साड़ियां और सूट। धोने के बाद इन पर प्रेस करने की जरूरत नहीं पड़ती। इन सभी में सिल्क महंगी आती। सिफोन और छिनौन सिल्क के मुकाबले काफी सस्ती होती है। इसका खास कारण यह है कि इन पर ज्यादा हाथ से वर्क नहीं करना होता। इन सभी का लाईट वेट होता है।