उदयपुर । बाल हित एवं मानवाधिकार मंच को उदयपुर में आयोजित हो रहे फिल्म फेस्टिवल में युद्ध में मृतक बच्चों के साथ श्रद्धांजलि देने में धर्म-देश के आधार पर भेदभाव करने की शिकायत शनिवार 16 नवंबर को आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ विपिन माथूर को दी गई थी।
मंच को स्थानीय 3-4 युवाओं ने शिकायत की थी कि उनके द्वारा रूस हमले के फलस्वरूप यूक्रेन में मारे गये बच्चों को भी श्रद्धांजलि देने की बात कही तो हिमांशु पण्ड्या सहित आयोजकों ने उनके साथ अभद्रता करते हुए बाहर निकाल दिया। उनके अनुसार आयोजक 15-20 लोगों को इकट्ठा कर फिलिस्तीन आधारित कंटेंट दिखाकर धार्मिक भावनाओं को उकसा रहे थे।
मानवाधिकार संरक्षण मंच के कार्यकर्ता शिकायत करने प्राचार्य कार्यालय पहुंचे तो आयोजक सहित 15-20 लोग भी आ गये। हमने उनसे अपील की कि बिना कोई भेदभाव किये फिलिस्तीन के बच्चों के साथ यूक्रेन में मारे गये बच्चों को भी श्रद्धांजलि देनी चाहिए। यही नही इजराइल व रूस में भी कोई बच्चा मरा है तो श्रद्धांजलि देनी चाहिए। बच्चे इन विवादों को नहीं समझते और वे भगवान का रूप होते है। हमें उनमें भेद नहीं करना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने अपनी बात रखी। जिसे आयोजकों ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि रूस एक कम्यूनिस्ट देश है। इसलिए हम यूक्रेन में मारे गये बच्चों को श्रद्धांजलि नहीं दे सकते। उदयपुर में वंचित समाज के मृतक देवराज मोची को भी श्रद्धांजलि देने से मना कर दिया।
ऐसे में प्राचार्य ने आयोजकों से लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देते हुए जिला प्रशासन की अनुमति मांगी, जो कि आयोजकों के पास नहीं थी। आयोजकों ने कहा कि वे ऐसी औपचारिक प्रक्रिया को फॉलो नहीं करते।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य प्राचार्य कार्यालय से निकलकर लौट आये और कोई सदस्य सभागार की तरफ नहीं गया और ना ही कोई व्यवधान किया, जैसा की मिडिया में आरोप लगाये गये। सिर्फ लोकतांत्रिक रूप से अपनी भावना को प्राचार्य के समक्ष प्रकट किया था।
प्राचार्य के समक्ष बातचीत में हमने सहयोग देने की बात कहीं और साथ ही निम्न बाल अत्याचारों से संबंधित घटनाओं को भी फिल्म स्क्रीनिंग, चर्चा सत्र या श्रद्धांजलि के रूप में शामिल करने की अपील की थी। जिसे उन्होने ठुकरा दिया था।
1. मुगल शासक औरंगजेब द्वारा धर्मांधता के तहत महाराज श्री गुरू गोविन्द सिंह जी के 4 पुत्रों साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह एवं साहिबज़ादा फतेह सिंह बलिदान कर दिये गये। 26 दिसंबर 1704 को सरहिंद में 7 और 9 वर्ष की उम्र में छोटे साहिबजादों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। अत: 4 साहबजादे फिल्म की स्क्रीनिंग भी रखी जाये।
2. राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के तहत वीर बालिका कालीबाई भील को भी श्रद्धांजलि दी जाये।18 जून 1947 को ब्रिटिश अफसर शिक्षक सेंगाभाई को ट्रक से बांधकर घसीटकर ले जाने लगे। तब 12 वर्षीय जनजाति छात्रा कालीबाई ने दांतली से सेंगाभाई की रस्सी काट दी और पुलिस ने कालीबाई पर गोलियां चला दीं। ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध शिक्षक की रक्षा करने पर जनजाति बालिका को गोलियों से भून दिया गया। वीर बालिका कालीबाई भील ने 20 जून 1947 को बलिदान हो गई थी।
3. लोकतंत्र समर्थन में शहीद होने वाले बच्चों को याद किया जाये। 3-4 जून 1989 में चीन के बीजींग के तियानमेन चौक पर लोकतंत्र के समर्थन में निकले मार्च को टैंक से कूचल कर दमन किया गया। जिसमें युवा- बच्चे के मारे गये।
4. चीन की विस्तारवादी नीति के तहत 1995 में चीनी अधिकारियों ने तिब्बती बौद्धों के 11वें पंचेन लामा 6 वर्षीय गेधुन चोएक्यी न्यिमा का उनके माता-पिता सहित अपहरण कर लिया गया। निर्वासित बौद्ध समुदाय 29 वर्ष बाद भी रिहाई का इंतजार कर रहा है। हमारी उनके प्रति सहानुभूति है और उम्मीद है उन्हे न्याय मिलेगा। इस मंच से एक अपील जारी हो।
5. साम्प्रदायिक कट्टरता के तहत निर्दोष बच्ची को जान गंवानी पड़ी। 07 जून 2018 को जोधपुर जिले के पीपाड सिटी में नवाब अली कुरैशी ने अपनी 4 वर्षीय मासूम बेटी रिजवाना को रमजान के मौके पर अल्लाह के नाम कुर्बानी देने के नाम पर गला रेतकर कत्ल कर दिया। बच्ची की माँ शबाना के प्रति सांत्वना व्यक्त की जानी चाहिए।
6. आयोजन किये जा रहे शहर उदयपुर में 16 अगस्त 2024 को एक विद्यालय के बाहर चाकू से ताबडतोड़ वार कर वंचित समाज के नाबालिग देवराज मोची की हत्या कर दी गई। उस दिवंगत छात्र को श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए।
7. 13 अगस्त 2024 को छत्तीसगढ के सुकमा जिले में 10वीं पढ़ने वाले आदीवासी बच्चे सोयम शंकर की माओवादियों ने दर्दनाक हत्या कर दी। बच्चों के साथ क्रूरता करने वाले नक्सलाइट की निंदा की जानी चाहिए।
8. सम्प्रदाय आधारित देश पाकिस्तान में पुलिस संरक्षण से हर वर्ष एक हजार अल्पसंख्यक हिन्दू-सिख-ईसाई नाबालिग बच्चियों का अपहरण कर मतांतरण करवा कर निकाह कर यौन बंधक बना दिया जाता है। सितंबर 2024 के प्रथम सप्ताह में 2 बच्चियों को खैरपुर एवं मीरखासपुर से अगवा कर ले गये। इन घटनाओ पर बनी डाक्यूमेंट्री भी स्क्रीनिंग में शामिल होनी चाहिए।
इस सब अपील को ठुकरा कर आयोजक फिलिस्तीन के बच्चों के अलावा कहीं के भी बच्चों को श्रद्धांजलि देने से साफ मना कर दिया। मंच ने कहा कि जहां तक फिलिस्तीन-इजरायल युद्ध का संदर्भ है, यह तथ्य भी रखना जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा गठित आयोग ने इस बात पर बल दिया कि हमास व सशस्त्र फिलिस्तीन समूहों द्वारा 07 अक्टूबर 2023 को किये गये इसराइल पर हमले व उसके बाद इसराइल द्वारा ग़ाज़ा में सैन्य हमलों को अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए। द टाइम्स इजराइल के अनुसार इस आतंकी हमले में अपहरण कर गाजा ले गये 240 लोगों में 40 बच्चे शामिल है। उन 40 बच्चों की सकुशल रिहाई के लिए अपील की जानी चाहिए।
उक्त अपील को नहीं माने जाने पर मंच के प्रतिनिधि लौट आये और फिल्म फेस्टिवल के आयोजकों की निकृष्ट मंशा पर अफसोस जाहिर किया। उसके बाद सूचना मिली कि आरएनटी के प्राचार्य ने जिला प्रशासन की अनुमति नहीं लाने तक फेस्टीवल बन्द करवा दिया। ज्ञात हो कि जिला प्रशासन कि अनुमति नहीं लेने के कारण 2016 में भी राजस्थान कृषि महाविद्यालय द्वारा अनुमति रद्द कर दी थी। फिल्म फेस्टिवल के आयोजक आदतन वैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते है और सोसाइटी में तनाव फैलाने वाले कंटेंट परोसते हैं।