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खूब याद आएंगे वो पल.. जो हमने बिताये थे कल 

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16 Nov 24
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खूब याद आएंगे वो पल.. जो हमने बिताये थे कल 

उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में मालवसिंहनी श्री कमलावतीजी म.सा. की पुण्य तिथि, वीर लोकाशाह जयन्ति एवं ऐतिहासिक चातुर्मास समापन पर विदाई समारोह सह कृतज्ञता अर्पण दिवस का मंगल आयोजन संपन्न हुआ। धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ. संयमलता ने कहा- कमलावतीजी म.सा. का जीवन कमल की तरह निर्लिप्त था। मात्र 8 वर्ष की नन्ही उम्र में संसार की असारता को समझकर जैन दिवाकर श्री चौथमलजी म.सा. के मुखारबिंद से दीक्षा अंगीकार की। हम शब्द तुम अर्थ तुम बिन हम व्यर्थ है। गुरुवर्या का स्वर्गवास चेन्नई के मैलापुर नगर में हुआ, विशेषता यह रही की देह संस्कार दौरान मुँहपत्ती सुरक्षित रही, नही जली। वीर लोकाशाह अपनी सुंदर लेखनी से 32 आगमों को पुनः लिपिबद्ध कर, जैन समाज पर बहुत बड़ा उपकार किया है। आपकी कृपा से जैन आगम अभी भी सुरक्षित है। चातुर्मास समापन पर साध्वी संयमलता ने संस्थान के प्रत्येक सदस्य गण, चातुमसि व्यवस्था समिति, नवयुवक मंडल, सुविधि महिला मंडल, नवकार बह मंडल, श्रमण संघ महिला मंडल को चातुर्मास को आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक बनाने में धन्यवाद दिया एवं मार्मिक भजन 'चार महिने हम रहे अब जायेंगे' गाकर सबकी आँखे नम कर दी। साध्वी अमितप्रज्ञा ने गुरुसेवा, विहार सेवा, एकता संगठन बनाये रखने की प्रेरणा दी। साध्वी कमलप्रज्ञा एवं साध्वी सौरभप्रज्ञा ने "कभी अलविदा ना कहना' गीतिका गाकर सभी कीआँखे सजल कर दी।

 

मंगल बधाई एवं विदाई समारोह का संचालन करते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक ललित लोढ़ा ने कहा की यह चातुर्मास तप त्याग से परिपूर्ण ऐतिहासिक रहा। सम्पूर्ण चातुर्मास में 6 मासखमण, 140 से अधिक अट्‌ठाईयाँ, 1200 तेले, 9-11-15-21 जैसी अनेक तपस्याएं । 4 आजीवन जोड़े ने शील व्रत के प्रत्याख्यान, व्यसन मुक्ति का त्याग, प्रत्येक गुरुवार को विभिन्न जाप, प्रत्येक शुक्रवार को पद्‌मावती एकासन, बाल संस्कार शिविर, 24 घण्टे अखण्ड अनुष्ठान, घण्टाकर्ण अनुष्ठान, सरस्वती अनुष्ठान, ट्राफी प्रश्नमंच, क्रिकेट प्रश्नमंच, महिला मंडल शिविर, बहु मंडल शिविर, युवा जागृती अभियान, विविध तप त्याग से यह चातुर्मास अविस्मरणीय रहा। चातुर्मास को सफल बनाने में सम्पूर्ण उदयपुर वालों का अभूतपूर्व योगदान रहा।" 

 नरेंद्र चंडालिया, अशोक चौहान, अरुण बया, दलपत जैन, फतेहलाल सियाल, रोशन बोकडिया, प्रकाश झगड़ावत, हार्दिक चौरडिया, अमृतलाल सोनी, अनिल हरकावत, रचित नागोरी, पवन चंडालिया, महावीर बोहरा, पंकज भंडारी, मदन सिंघवी, प्रतापसिंह चौधरी, सुरेश बडगूजर, अनिल चपलोत,हितेश पोखरना, हिम्मत रांका, तीर्थ चंडालिया, युगांश सियाल, चंचल मांडावत, मोनिका पगारिया, आशा कोठारी,संगीता बोहरा, अंगूरवाला भड़कतिया, मैना देवी बया, मंजू चंडालिया, अनिता भंडारी, चंद्रकला चौहान, इंदु बया, कविता सियाल, कमला हरकावत,प्रियंका चंडालिया, सोनम चोरडिया, कुसुम मेहता, रीना तलेसरा, यशोदा पोखरना,खुशी चंडालिया, सुशीला भाणावत, स्नेहलता मोगरा, चंचल कोठारी, मीना बागरेचा, प्रमिला रांका,स्वीटी कोठारी, स्नेहा सिसोदिया, वनिता पामेचा, मीना बोकडिया, अंजू लोढ़ा ने अपने विचार एवं मार्मिक भजनों द्वारा वातावरण गमगीन बना दिया। सभी के शब्दों में एक ही भाव थे कि चार माह में साध्वी संयमलताजी म.सा. का नेतृत्व एवं प्रभावशाली प्रवचन, साध्वी अमितप्र‌ज्ञाजी म.सा. की सरलता एवं ज्ञान-ध्यान शिविर, साध्वी कमलप्रज्ञाजी म.सा. एवं साध्वी सौरभप्रज्ञाजी म.सा. के मधुर भजन एवं विविध प्रतियोगिता से सेक्टर 4 महावीर भवन धर्ममय बन गया। चातुमास समिति की ओर से सभी कर्मचारियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम पश्चात गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया।


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