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लेकसिटी की माली काॅलोनी का अनूठा नवरात्रि उत्सव

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07 Oct 24
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लेकसिटी की माली काॅलोनी का अनूठा नवरात्रि उत्सव

उदयपुर। शहर के हिरण मगरी सेक्टर 3 की माली काॅलोनी स्थित कृष्णा वाटिका में चल रहे गरबे कुछ खास ही हैं। संभवतः मेवाड़ का यह एकमात्र गरबा होगा जिसकी शुरूआत तो देवी आरती से होती है परंतु मध्यांतर में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया जाता है।

सनातनी विचारधारा को चतुर्दिक संवहित करने वाले डिवाइन ग्रुप के संस्थापक और नवरात्रि उत्सव के आयोजक कपिल पालीवाल बताते हैं कि पिछले 16 सालों से गरबा आयोजन और इसके साथ सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का सिलसिला चल रहा है।गरबा उत्सव की शुरुआत यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष और समाजसेवी रविन्द्र श्रीमाली के आतिथ्य में की गई थी।  उन्होंने बताया कि हर रात्रि इस गरबा उत्सव में शहर और आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में देवी भक्त मौजूद रहते हैं और गरबा खेलने और देखने का लुत्फ उठाते हैं। उन्होंने बताया कि गरबा की शुरुआत जय आद्या शक्ति... आरती से होती है और इसके बाद दुर्गा सप्तशती के सिद्ध कुंजिका स्त्रोत व बीज मंत्रों के माध्यम से देवी स्तुति की जाती है। देवी स्तुति के बाद गुजराती और राजस्थानी गरबों की शुरूआत होती है। हजारों की संख्या में युवक-युवतियां इन गरबों की सुरताल पर थिरकते हैं और मध्यांतर में हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ की शुरुआत होती है तो मौजूद सभी लोग एक साथ जूते चप्पल उतारकर जमीन पर बैठकर सस्वर हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। पालीवाल ने बताया कि इन संपूर्ण आयोजनों में डिवाइन ग्रुप के रोहित पाटनी, ईशान पालीवाल, मनाली चुघ, रवि राज का सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है।

पुरस्कार के रूप में भी हेलमेट का वितरण:
पालीवाल ने बताया कि प्रतिदिन सर्वश्रेष्ठ गरबा खेलने वाले अलग-अलग श्रेणियों में एक दर्जन से अधिक पुरस्कार भी दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि गरबा खेलने वाले युवक-युवतियों की अधिसंख्य उपस्थिति को देखते हुए पुरस्कार के रूप में भी हेलमेट प्रदान किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भी प्रतिभागियों और विजेताओं को देवीकृपा से दीर्घ आयुष्य और दुर्घटना मुक्त यात्रा की सौगात देना भी है।

अष्टमी और नवमीं को होगा 501 दीपों की महाआरती का आकर्षणः
पालीवाल ने बताया कि नवरात्रि की महाअष्टमी और दुर्गा नवमी के मौके पर इस गरबा उत्सव में 501 दीपों की महाआरती विशेष आकर्षण का केन्द्र रहेगी। इस मौके पर हजारों की संख्या में शहरवासी, प्रबुद्धजन और गरबा नर्तक मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही गरबा खेलने आने वाले युवक-युवतियों में सनातनी संस्कारों को प्रेषित करने के उद्देश्य से गोसेवा का दानपात्र भी रखा हुआ है। इस राशि का उपयोग बीमार और जरूरतमंद गोवंश की सेवा के लिए किया जाता है।


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