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हर सफलता के पीछे अनुशासन की कसौटी जरूरी है - मुनि सिद्धप्रज्ञ

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06 Oct 24
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हर सफलता के पीछे अनुशासन की कसौटी जरूरी है - मुनि सिद्धप्रज्ञ

उदयपुर। अणुव्रत समिति उदयपुर द्वारा आयोजित अणुव्रतउदबोधन सप्ताह‘ का छठा दिवस आज ‘अनुसाशन दिवस‘ के रुप में महिला प्रशिक्षण केन्द्र शोभागपुरा में शासनश्री मुनि सुरेश कुमार  ‘हरनावा‘ श्रमण-3 के सानिध्य में मनाया गया। जिसमें अणुव्रत समिति के पदाधिकारी, सदस्य व श्रावक-श्राविका ने भाग लिया।
इस अवसर पर प्रबुद्ध संत मुनिश्री मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्र, समाज, परिवार, संस्था, धर्मसंघ मर्यादा अनुशासन के बिना सफल नहीं होते है। व्यक्तिव निर्माण के कार्य में भी अनुशासन की प्रमुखता रहती है। किसी भी विशिष्ट उपलब्धि के पीछे मर्यादित अनुशासित जीवन शैली का सहयोग रहता है। आत्मानुशासन के लिए परनुशासन यानि धोपे हुए अनुशासन की जरूरत नहीं होती है। विवेक और अध्यात्म संपन्न व्यक्ति ही आत्मानुशासित हो सकते हैं। आचार्य श्री तुलसी द्वारा उद्धरण दिया गया कि ‘निज पर शासन फिर अनुशासन‘ इसका अर्थ है कि अगर व्यक्ति अपने पर शासन करे तो वह अनुशासित बन जायेगा और देश स्वर्ग बन जायेगा।
कार्यक्रम में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत अणुव्रत समिति अध्यक्ष प्रणिता तलेसरा ने करते हुए कहा कि आज तक जो भी लोग जीवन में सफल हुए हैं उन्होने अनुशासन को अपने जीवन  में अंगीकार किया। उपाध्यक्ष सुनील इन्टोदिया ने बताया कि अनुशासन की कसौटी से गुजरने के बाद ही उपलब्धि हासिल होती है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए उपाध्यक्ष राजेंद्र सेन ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए अनुशासन स्वीकारना होगा। बच्चा मिट्टी का ढीला गड़ा बन जाता है। अनघड़ पत्थर अनुशासन की छैनी से मूर्ति का रूप ले लेता है। वह जन-जन का नायक बन जाता है। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती सीमा बाबेल ने कहा कि अनुशासन के बिना घर, परिवार और समाज चल नहीं सकता। अनुशासन शांति से जीवन जीने का मार्ग प्रस्तुत करता है। कार्यक्रम में डॉ. एस.एल. इन्टोदिया, हेमेंद्र कोठारी, नीरज कोठारी, उषा किरण इन्टोदिया, कांता कोठारी की गरिमामय उपस्थिति रही। धन्यवाद प्रकाश बाबेल ने दिया।


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