उदयपुर। राष्ट्र संत उपसर्ग विजेता गणिनि आर्यिका 105श्री सुप्रकाश मति माताजी का 43वां वर्षायोग कल से सममेदशिखर में प्रारम्भ हुआ। उदयपुर से गये भक्तों ने इस अवसर पर भाग लेकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरु पूर्णिमा पर वहंा एक अद्वितीय धार्मिक उत्सव का आयोजन हुआ।
ध्यानोदय तीर्थ के चेयरमैन ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि शास्वत तीर्थ आज भव्य कलश स्थापना समारोह आयोजित किया गया। इस पावन अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से पधारे, जिससे समस्त नगर धार्मिक भावना और भक्ति के रंग में रंग गया।
कलश स्थापना समारोह में प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत मिश्रण दिखाई दे रहा था।
इस महोत्सव के मुख्य प्रभावना 105 दिवसीय चलने वाले सम्मेद शिखर आराधना की थी जो पहली बार आयोजित हो रही थी जिसका लाभ प्रथम पुण्य दिलीप गोदावत परिवार ने लिया। साथ ही संघपति के बनने का सोभाग्य सुजीत जैन धूलियान्न एवं गुरु परम्परा भक्ति त्रिलोक सावला एवं गुरु माँ की पूजा का लाभ ओमप्रकाश गोदावत, पाद प्रक्षालन का लाभ राजकुमार जी टोंग्या ने लिया।
इस अवसर पर सुप्रकायामति माताजी ने धर्म, आत्मज्ञान और शांति के महत्व पर प्रकाश डाला। उनकी वाणी सुनकर हर किसी के हृदय में आत्मबोध और धर्म के प्रति समर्पण का नया संचार हुआ। उन्होंने कहा की इस तीर्थ की वंदना जो एक बार करले वह अवश्य कभी नर्क एवं पशु गति को नहीं जाता इस लिए जीवन मे एक बार इस तीर्थ की वंदना अवश्य करे यहां से भूत भविष्यके चौबीसी एवं वर्तमान कीचौबीस मे से 20प्रभु यहां से मोक्ष गए हैदेश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने इस अद्वितीय अवसर को अविस्मरणीय बताया। उन्होंने कहा कि गुरु माँ श्री के सानिध्य में बिताए गए ये पल उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं और वे इसे सदैव संजो कर रखेंगे।
इस अवसर पर धूलियान्न हजारी बाग उदयपुर मुंबई आसपुर कई जगह से कलश की स्थापना का आनंद लिया गया एवं ऐसी अनुपम भक्ति का आनंद तीर्थ पर अलौकिक रहा। सुप्रकाशमति माताजी अनेक राज्यों से विहार कर वहंा पहुंची। गुरु माँ सुप्रकाशमति माताजी ऐसी आर्यिका है जो सम्मेद शिखर जी 60वर्ष की उम्र मे 121बार पहाड़ की वंदना कर चुकी है।