उदयपुर । राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के अंतर्गत सामुदायिक वन अधिकार प्रदान करने के कार्य में गति लाने एवं सभी पात्र राजस्व ग्रामों को सामुदायिक वन अधिकार का हक प्रदान करने हेतु 1 मार्च से 30 जून, 2023 तक चलाया जाने वाला विशेष अभियान उदयपुर संभाग में बुधवार से प्रारंभ हुआ। अभियान के सफल आयोजन के उद्देश्य से जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के आयुक्त एवं संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट ने बुधवार को टास्क फोर्स की बैठक ली और समस्त जिला कलक्टर्स व संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार अभियान की गंभीरता को समझे और पात्र राजस्व गांवों को सामुदायिक वन अधिकार प्रदान कर सरकार की मंशाओं को सार्थक करें।
हर जिले को अभियान का कलेंडर और आईईसी सामग्री देंगे:
बैठक में संभागीय आयुक्त भट्ट ने कहा कि अभियान की समस्त गतिविधियों को एक्ट की मंशा और प्रावधानों के अनुरूप सुचारू संपादन की दृष्टि से संभाग के सभी जिलों द्वारा की जाने वाली कार्यवाही में एकरूपता रहेगी, इसके लिए संभाग मुख्यालय से अभियान का कलेंडर तैयार किया जाएगा जिसमें वनाधिकार के प्रावधानों की जानकारी के साथ अभियान की हर एक गतिविधि, प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए अभियान के संपादन के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों को दायित्वबद्ध किया जाएगा। इसी प्रकार अभियान को सफल बनाने के लिए जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से आईईसी सामग्री भी संभाग मुख्यालय से डिज़ाईन करवाते हुए जिलों को उपलब्ध कराई जाएगी ताकि इसको गांव-गांव तक पहुंचाया जा सके।
पहले सर्वे करो और प्रस्ताव तैयार कराओ:
टास्क फोर्स की बैठक में संभागीय आयुक्त भट्ट ने संबंधित जिलाधिकारियों को कहा कि अपने-अपने जिलों के वन खंडों के समीप स्थित ऐसे राजस्व गांवों का चिह्नीकरण करें जहां से अब तक सामुदायिक वनाधिकार के प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं करने वाले गांवों की सूची बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए और कहा कि इन चिह्नीत गांवों के निवासियों को सामुदायिक वनाधिकार की महत्ता के बारे में जानकारी देते हुए प्रस्ताव तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
विशेष ग्राम सभाओं में तैयार होंगे दावें:
बैठक दौरान संभागीय आयुक्त भट्ट ने जिलों में ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के गठन के बारे में जानकारी ली तो पाया कि अधिकांश जगह वर्ष 2008 में समिति का गठन किया गया है। भट्ट ने कहा कि ग्रामीणों को अभियान को पूरा-पूरा लाभ देने के लिए इन समितियों के पुनर्गठन की भी आवश्यकता है। उन्होंने इन समितियों के पुनर्गठन के लिए विशेष ग्राम सभा के आयोजन के निर्देश दिए। इसी प्रकार समिति गठन के बाद संबंधित ग्राम पंचायत में विशेष शिविर और ग्राम सभा का आयोजन किया जाए और इसमें वनाधिकार समिति के साथ समस्त संबंधित विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति में तमाम औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए हाथों-हाथ दावें तैयार किए जाए और उन्हें स्वीकृति के लिए उपखंड स्तरीय समिति को भेजा जाए।
प्रशासन गांवों के संग अभियान की तर्ज पर चले वनाधिकार अभियानः
बैठक में उदयपुर जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए इसे प्रशासन गांवों के संग अभियान की तर्ज पर चलाया जाए और इसमें समस्त संबंधित विभागीय अधिकारी शिविर स्थल पर मौजूद रहकर प्रस्ताव तैयार करने, जीपीएस मेपिंग और अन्य औपचारिकताओं को पूर्ण करते हुए प्रस्ताव को उपखंड स्तरीय समिति को प्रेषित करें। उन्होंने इसके लिए गांव-गांव होर्डिंग लगाने और व्यापक प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता भी जताई। मीणा ने इसके लिए ग्राम सभाओं व शिविरों के कलेंडर को भी तैयार करने की बात कही।
जिला व संभाग स्तर पर बनेगा कंट्रोल रूम:
टास्क फोर्स की बैठक में संभागीय आयुक्त भट्ट ने कहा कि अभियान के तहत प्रतिदिन होने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी संकलित करने और संबंधित सूचनाओं के प्रतिदिन राज्य स्तर पर प्रेषण की दृष्टि से जिला व संभाग स्तर पर अभियान का कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा। इस पर प्रतिदिन की गतिविधियों की सूचना अनिवार्य रूप से सभी जिलों को भेजनी होगी। उन्होंने अभियान के दौरान आयोजित होने वाले शिविरों के लिए ग्राम पंचायत वार प्रभारी अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश देते हुए कहा कि वे स्वयं संबंधित जिला कलक्टर्स के साथ इन शिविरों का दौरा करेंगे और प्रगति की मॉनिटरिंग करेंगे।
बैठक में ये रहे मौजूद:
बैठक में जिला कलक्टर ताराचंद मीणा, मुख्य वन संरक्षक आर.के.सिंह, जिला परिषद सीईओ मयंक मनीष, टीएडी अतिरिक्त आयुक्त अंजलि राजौरिया, गिर्वा एसडीएम सलोनी खेमका, अनिल कुमार शर्मा, टीएडी उपायुक्त पर्वतसिंह चुण्डावत, उपनिदेशक जितेन्द्र पाण्डे, विकास अधिकारी धनपतसिंह, गिरीराज कतिरिया, आस्था संस्थान से मांगीलाल गुर्जर, श्यामलाल पुरोहित, वन उत्थान संस्थान के सुरेश शर्मा आदि मौजूद रहे।