उदयपुर भगवान बिरसा मुण्डा की 150वीं जयंती पर शुक्रवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई गई। बिरसा मुण्डा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने कहा कि बिरसा मुंडा ने जल जंगल जमीन का नारा दिया और कहा कि इस मातृभूमि पर हर वर्ग का अधिकार है। बिरसा मुण्डा एक युवा स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय समुदाय के नेता थे। बिरसा मुंडा ने सामंती व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन किया। जमीदारी प्रथा व अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध एक बड़ी लडाई लड़ी। बिरसा ने ब्रिटिश मिशनरियों और धर्मांतरण गतिविधियो के खिलाफ एक बड़ा धार्मिक आंदोलन खडा किया जिसे उलगुलान नाम दिया गया। उन्होंने जल, जंगल, जमीन और आदिवासियों के लिए बहुत काम किया। उनका नारा था संघर्ष से ही जीत होती है समर्पण से नहीं।
उन्होंने कहा कि संस्कृति स्थिर नहीं है; यह एक विकसित होती यात्रा है जिसके लिए हमें बदलती दुनिया के साथ तालमेल बिठाते हुए अपनी परंपराओं को अपनाना और उनकी रक्षा करना आवश्यक है। जनजातीय गौरव दिवस हमारे पारंपरिक समुदायों के साहस, उनके अद्वितीय दृष्टिकोण और हमारी सांस्कृतिक पच्चीकारी में उनके योगदान को सम्मान प्रदान करने का दिवस है। बिरसा मुंडा सहित आदिवासियों ने अपने रीति-रिवाजों और शिल्पकला से हमारे राष्ट्र को समृद्ध किया है। जनजातीय समुदायों ने प्रकृति के प्रति सम्मान और गहरी जड़ों वाली परंपराओं के मूल्यों के साथ एक ऐसा उदाहरण स्थापित किया है जो पीढ़ियों और समुदायों में गुंजायमान होता है। इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, करण सिंह उमरी, मोहसीन, निजी सचिव केके कुमावत, जितेन्द्र सिंह, डॉ. नजमुद्दीन, लहरनाथ, मुकेश चौधरी, मोहन गुर्जर, चन्द्रभान सिंह, प्रतापसिंह , सावरिया लाल धाकड़ सहित कार्यकर्ताओं ने मुण्डा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।