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संस्कृत श्रेष्ठ, संस्कारिक व देव भाषा है, संस्कृतभारती का संस्कृत जनपद सम्मेलन व प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न

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09 Sep 24
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संस्कृत श्रेष्ठ, संस्कारिक व देव भाषा है, संस्कृतभारती का संस्कृत जनपद सम्मेलन व प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न

उदयपुर, राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि संस्कृत श्रेष्ठ, संस्कारिक व देव भाषा है। यह कई भाषाओं की जननी है। संस्कृत में ही भारतवर्ष की संस्कृति निहित है। 

यह बात उन्होंने बुधवार को उदयपुर में संस्कृत भारती की ओर से आयोजित संस्कृत जनपद सम्मेलन व प्रतिभा सम्मान समारोह में कही। संस्कृतभारती, राजस्थान विद्यापीठ और पेसिफिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में विद्यापीठ के आईटी सभागार में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. सारंगदेवोत ने नई पीढ़ी से संस्कृत के गहन अध्ययन का आह्वान किया जिससे भारत के प्राचीन कालजयी ग्रंथ वेद-पुराणों में छिपे ज्ञान-विज्ञान को विश्व पटल पर लाया जा सके।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि चित्तौड़गढ़ सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा राजस्थान सीपी जोशी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि संपूर्ण देश में असीमित ज्ञान भंडार कहीं है तो वह केवल संस्कृत भाषा व उसके साहित्य में है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा और शिक्षा प्रणाली अति सुदृढ़ थी जिसे लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा पद्धति एवं संस्कृति पर आक्रमण किया ताकि विश्व में सबसे सुदृढ़ भारतीय ज्ञान प्रणाली नष्ट हो सके। उन्होंने कहा कि संस्कृत ऐसी अद्भुत और देवतुल्य भाषा है जिसके अद्वितीय ज्ञान और खोज के सामने विज्ञान आज भी निहार रहा है क्योंकि आज भी विज्ञान के सामने कई चुनौतियो और समस्याओ का समाधान विज्ञान से कोसों दूर है जो भारतीय प्राचीन शास्त्रों व वेदों में कई वर्षों पूर्व मिलता है। इसलिए उन्होंने भारत की आत्मा कहीं जाने वाली संस्कृत भाषा को अस्तित्व में लाने और व्यावहारिक भाषा बनने पर बल देखकर भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का एकमात्र आधार स्तंभ बताया तथा सभी प्रतिभागी विजेताओं को शुभकामनाएं प्रेषित की।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा भारती के अखिल भारतीय प्रकाशन प्रमुख मूलचंद सोनी,  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख श्रीकांत, पायरोटेक कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक चंद्रप्रकाश तलेसरा, ग्रामीण विधायक उदयपुर फूल सिंह मीणा उपस्थित रहे। अध्यक्षता कुलपति प्रो. कर्नल शिव सिंह सारंगदेवोत ने की।

मुख्य वक्ता संस्कृतभारती चित्तौड़ प्रांत के प्रांत मंत्री परमानंद शर्मा थे। उन्होंने कहा कि संस्कृतभारती कई वर्षों से भारत सहित विश्व के 29 देशों में संस्कृत के नियमित प्रचार प्रसार का कार्य कर रही है, जिसके अंतर्गत आयोजित संभाषण शिविरों में एक लाख 40 हजार से अधिक लोग संस्कृत बोलना सीख चुके हैं।

 

क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख श्रीकांत ने संस्कृत भाषा में गौरवमयी उद्बोधन देते हुए कहा कि संस्कृत भाषा मातृभाषा होने के साथ-साथ पूर्ण रूप से वैज्ञानिक भाषा और प्रार्थनाओं की भाषा है, जिसके अंतर्गत मातृभूमि एवं मातृभाषा का संरक्षण इन विद्यार्थियों के साथ-साथ सभी संस्कृत शिक्षकों व समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत ऐश्वर्या वरदान का प्रतिरूप है संस्कृत को करो में प्रवेश देकर परिवार को सुसू संस्कृत बनाने का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय सेवा भारती के अ भा प्रकाशन प्रमुख मूल चंद सोनी ने सभी छात्रों को हनुमान चालीसा का पाठ नियमित करने का आह्वान किया तथा सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विद्यमान शास्त्रों के संरक्षण पर बल दिया।

समारोह का आरंभ दीप प्रज्वलन व बकुल त्रिवेदी द्वारा मंगलाचरण व सरस्वती वंदना से हुआ। महानगर प्रचार प्रमुख रेखा सिसोदिया ने ध्येय मंत्र प्रस्तुत किया। श्रेयांश कंसारा ने गीत की प्रस्तुति दी। संस्कृतभारती के प्रांत संपर्क प्रमुख डॉ. यज्ञ आमेटा ने अतिथियों का स्वागत परिचय दिया।

समारोह में रक्षाबंधन से शुरू हुए संस्कृत सप्ताह के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। विजेता प्रतिभागियों में प्रथम स्थान प्राप्त एमएमपीएस विद्यालय ने संस्कृत समूह गीत की प्रस्तुति भी दी। 

समारोह में संस्कृत प्रतिभाओं को महर्षि पाणिनी पुरस्कार प्रदान किए गए तथा संस्कृत - संस्कृति को समर्पित व्यक्तित्वों को संस्कृति गौरव सम्मान प्रदान किया गया। 

कार्यक्रम का संचालन विभाग सह संयोजक नरेंद्र शर्मा ने संस्कृत में किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन विभाग संयोजक दुष्यंत नागदा ने किया।

संस्कृतभारती की ओर से डॉ यज्ञ आमेटा, दुष्यंत नागदा, नरेंद्र शर्मा, रेखा सिसोदिया, रविंद्र सिंह रूपावत, विकास डांगी, श्रेयांश कंसारा, मंगल जैन, डॉ रेनू पालीवाल, कुलदीप जोशी, संजय शांडिल्य, डॉ भगवती शंकर व्यास आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। 

 

इन्हें मिला संस्कृति गौरव सम्मान - 

 

-समारोह में डॉ. हनवंत सिंह , डॉ. राजीव पाण्डे , माया खण्डेलवाल , रक्त दाता युवा वाहिनी, डिंपल भावसार  भारती कुंवर सिसोदिया ,शालिनी औदीच्य ,जितेंद्र भट्ट ,रीना जैन ,निष्ठा दीक्षित ,मीनाक्षी नेभनानी ,पूनम पालीवाल ,चेतना दीक्षित ,निरंजन टेलर ,करुणा जोशी ,हेमलता चित्तौड़ा को संस्कृत - संस्कृति के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान हेतु संस्कृति गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।  

 

इन्हें मिला महर्षि पाणिनी पुरस्कार -

 

 कार्यक्रम में रॉकवुडस हाई स्कूल से दिशा छीपा,दिव्या सान्दू, सांवी गुप्ता, माही चौहान, नित्या चौधरी,शुभिका गुर्जर। डीपीएस से दक्षिता अग्रवाल, आयुष खण्डेलवाल, अरहम संचेती, सिद्धान्त लुहाड़िया, गायत्री विश्वनाथन भारद्वाज, आरव अगरवाल, शिवांश जैन, काव्य कोठारी, विवान सिंघवी, निहारिका हेमंतकुमार सुपे, पियूष चौधरी, एकाक्ष सिंह राव, भावी बापना, मलय इंद्रावत, अहोना सेन, युक्ता टेलर , वैभव कच्छारा, श्रेयसी सक्सेना, देव्यांश सोनी, निर्झर जैन एमएमपीएस - खुशाली पालीवाल, अली असगर रस्सावाला, निष्ठा सेठ, लाघवी राठौड़ , भाविका धाभाई, श्रेयांशी राठौड, दिव्यराज श्रीमाली, कीर्ति शर्मा, ध्वनि कटेजा।  सेंट्रल एकेडमी सरदारपुरा से आरव तलेटिया, अक्षत सिंह अथर्व, हिमनीष सोनी, कर्तव्य शर्मा, काव्य पालीवाल, लविशा कुँवर राव, पूजा कुइला, संभवी जैन

 विट्टी इंटरनेशनल से रीत गखरेजा, ईशिका जैन एमएमवीएम  से सना सेफी, पार्थ‌ सेजनवार, यशस्वी दाधीच।  गुरु नानक से 4 से भूमिका सुथार, गरिमा मेघवाल, हरप्रीत कौर, करमजीत सिंह चावला, किंजल प्रजापत, माही द्विवेदी, नेहल राज, वैदेही आमेटा, अभिनव गायरियावास से हीरल गोस्वामी, संगीता चौधरी, प्रिया सैनी, कृतिका कुँवर चौहान । म.गा. विद्यालय भींडर - भूमिका आमेटा  महावीर एकेडमी - ट्विंकल बावरी  माउंट व्यू से नेहल आमेटा सुखाड़िया विश्वविद्यालय से इसी वर्ष संस्कृत में पीएचडी उपाधि प्राप्त डॉ.मनोहर लाल सुथार , डॉ.विनीता पालीवाल।


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