उदयपुर। जटिल शारीरिक विकारों में आधुनिक चिकित्सा तकनीकों के उपयोग ने असंभव को संभव बना दिया है। ऐसा ही एक अनूठा मामला हाल ही में उदयपुर में सामने आया है जहां 27 सप्ताह के प्री-टर्म शिशु का जटिल ऑपरेशन करके उसे पुनर्जीवन दिया गया गया है । जन्म के समय शिशु का वजन मात्र 550 ग्राम था, और उसे दुर्लभ ट्रेकियोइसोफेगल फिस्टुला (सांस की नली और खाने की नली जुड़ी हुई) की समस्या थी। यह एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है, जिसमें बच्चा दूध पीने में असमर्थ होता है क्योंकि तरल पदार्थ सीधा फेफड़ों में चला जाता है, जिससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। बच्चे स्थिति गंभीर थी और तीन दिन में दो आवश्यक सर्जरी की गयी। चिकित्सकों की कुशलता के कारण सर्जरी में सफलता मिली जबकि ऐसे केसेज में बच्चे की जिन्दगी बचा पाना बहुत मुश्किल होता है। ऑपरेशन और बाद की जटिलताओं पर उदयपुर के डॉ. अनूप पालीवाल, डॉ. प्रवीण झंवर और डॉ. बसंत ने सफलता पाकर बच्चे को नवजीवन दिया है।
श्री कृष्ण चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डॉ. अनूप पालीवाल ने बताया कि जन्म के बाद शिशु को दूध पीने में समस्या के बारे में पता चला । हमारी टीम ने जांचे की तो को बच्चे की ट्रेकियोइसोफेगल फिस्टुला समस्या के बारे में पता चला और उसे आईसीयू में भर्ती किया गया। इस विषय पर पीएमसीएच भीलों का बेदला के शिशु रोग सर्जन डॉ. प्रवीण झंवर से सलाह ली तो उन्होंने ऑपरेशन की आवश्यकता बतायी लेकिन ऑपरेशन करना बहुत जटिल था क्योंकि शिशु का वजन बहुत कम था और शरीर की संरचना अत्यधिक नाजुक थी। विशेष ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल बनाकर बच्चे की दो सर्जरी की गयी जिसमें हमें सफलता मिली। ऑपरेशन के बाद शिशु को 15-20 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया, ताकि वह सांस ले सके और उसके फेफड़े धीरे-धीरे सामान्य हो सकें।
डॉ. अनूप पालीवाल ने बताया कि इसके बाद भी शिशु को दो महीने से अधिक समय तक अस्पताल में विशेष निगरानी में रखा गया। इस दौरान उसे ट्यूब के माध्यम से दूध पिलाया गया। अस्पताल की विशेष देखरेख व उपचार तथा माता-पिता के विश्वास से शिशु धीरे-धीरे स्वस्थ होता गया, उसे 1500 ग्राम वजन होने पर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है और अभी पूरी तरह से स्वस्थ होकर आम बच्चों जैसा जीवन जी रहा है। इस तरह के केसेज भारत में बहुत कम होते हैं, सर्जरी और उसके बाद की स्थिति में सफलता मिल पाना बहुत कम संभव है लेकिन हमारी टीम की विशेष मेहनत से बच्चे को जीवनदान मिला है।
डॉ. अनूप ने बताया कि इतनी जटिल स्थिति के बावजूद शिशु का पूरी तरह से स्वस्थ हो जाना एक मेडिकल चमत्कार से कम नहीं है। शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के बावजूद, विशेषज्ञों की टीम ने उसे लगातार मॉनिटर कर आवश्यक उपचार दिया।
डॉ. बसंत ने बताया कि इस तरह के दुर्लभ मामलों में यह घटना एक प्रेरणा है कि समय पर सही चिकित्सा और धैर्य से जटिल से जटिल परिस्थितियों को भी संभाला जा सकता है। यह चिकित्सा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है, जो नवजात शिशुओं के जटिल मामलों को संभालने में नई उम्मीद देती है।