(एफडीपी) का भव्य शुभारंभ किया गया। “आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रणालियों का एकीकरण: एनईपी-2020 परिप्रेक्ष्य” विषय पर आधारित यह कार्यक्रम 16 से 20 दिसंबर 2024 तक अखिल भारतीय विश्वविद्यालय शैक्षणिक और प्रशासनिक विकास केंद्र (एआईयू-एएडीसी) के तत्वावधान में आयोजित हो रहा है। इसमें देशभर से शिक्षाविद, विशेषज्ञ और प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर करुणेश सक्सेना ने की। मुख्य अतिथि प्रोफेसर बीपी शर्मा (अध्यक्ष, यूनेस्को, एमजीपी) ने भारतीय ज्ञान परंपराओं (आईकेएस) की समृद्ध विरासत और इसकी आधुनिक शिक्षा में प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि सभी आविष्कार, चाहे वह हो चुके हों या भविष्य में हों, उनके संदर्भ भारतीय ग्रंथों में मिल जाते हैं। साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा के बीच सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर अनिल कोठारी (प्रिंसिपल, गुरु नानक गर्ल्स पीजी कॉलेज, उदयपुर) ने अपने संबोधन में कहा, “भारतीय ज्ञान परंपराएं, जैसे योग, आयुर्वेद, खगोल विज्ञान और गणित, प्राचीन काल में अत्यधिक प्रभावशाली थीं और आज भी आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी को दिशा प्रदान कर सकती हैं। यह कार्यक्रम आधुनिक शिक्षा प्रणाली में इन परंपराओं के एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
एआईयू की जॉइंट डायरेक्टर रंजना परिहार ने संगम विश्वविद्यालय के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगी।
उप कुलपति प्रोफेसर मानस रंजन पाणिग्रही ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें पांच दिनों में कुल 10 सत्र आयोजित होंगे। ये सत्र प्रबंधन, मानविकी, चिकित्सा विज्ञान, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर केंद्रित होंगे। इन सत्रों में प्रतिष्ठित वक्ता आधुनिक शिक्षा और तकनीकी प्रगति में भारतीय ज्ञान परंपराओं की भूमिका पर अपने विचार साझा करेंगे।
कुलपति प्रोफेसर करुणेश सक्सेना ने प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए कहा, “यह कार्यक्रम केवल ज्ञान के आदान-प्रदान का मंच नहीं है, बल्कि यह भारतीय परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बनाने का अवसर भी प्रदान करता है। यह पहल एनईपी-2020 के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।”
कुलसचिव प्रोफेसर राजीव मेहता ने कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को भारतीय ज्ञान परंपराओं के विविध आयामों को समझने, उनका अध्ययन करने और समकालीन शिक्षा में उन्हें शामिल करने के लिए प्रेरित करना बताया।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिसे प्रोफेसर प्रीति मेहता, डायरेक्टर एवं नोडल ऑफिसर ने प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि शुभारंभ सत्र के बाद प्रतिभागी आगामी दिनों में ज्ञानवर्धक सत्रों में भाग लेंगे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर सीमा काबरा और डॉक्टर श्वेता बोहरा द्वारा किया गया।