भीलवाड़ा | उद्यमिता एवं कौशल विकास केंद्र संगम विश्वविद्यालय द्वारा भारत सरकार के राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आर्थिक सहयोग से एक दिवसीय अंतर-पीढ़ी संबंध प्रोत्साहन कार्यशालाओं की श्रंखला के अंतर्गत द्वितीय कार्यशाला का आयोजन योग की सांस्कृतिक विरासत एवं वित्तीय समझ के द्वारा परिवार की सरचना का सशक्तिकरण विषय पर किया गया जिसका प्रमुख उद्देश्य अंतर-पीढ़ी संबंधों को प्रोत्साहन देना था। विश्वविद्यालय उप कुलपति प्रोफेसर मानस रंजन पाणिग्रही ने कहा कि योग एवं आसन जीवन को गति देते हैं। यह कार्यशाला युवाओं के लिए एक अवसर है जिसमें वे आर्थिक और सामाजिक मूल्यों को समझते हुये अपने परिवार और देश को मजबूती प्रदान करते हुये स्वयं की पहचान को भी स्थापित कर सकते हैं। स्वागत उद्बोधन में डॉ. मनोज कुमावत ने युवाओं की ऊर्जा और बुजुर्गों के अनुभवों के सम्मिलित प्रयासों से समाज को नवीन दिशा की ओर उन्मुख किया जा सकता है ।पतंजलि योग संस्थान के प्रशिक्षक श्री योगेन्द्र सक्सेना जी ने भारतीय योग की महिमा को बताते हुए कहा कि योग जीवन को अनुशासित करने की कला है । उन्होंने विभिन्न योगासनों जैसे-सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, हलासन और प्राणायाम आदि का अभ्यास भी कराया जिससे युवाओं में नवीन चेतना का संचार हुआ । द्वित्तीय सत्र में वित्तीय विशेषज्ञ डॉ. मुकेश शर्मा ने वित्तीय साक्षारता के साथ ही आर्थिक निवेश पर अपने विचार 50:30:20 फार्मूला के माध्यम से रोचक ढंग से प्रस्तुत किए । इसी भावना को इंगित करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना की समन्वयक डॉ. श्वेता बोहरा द्वारा कार्यशाला में आये युवाओं का सम्मान प्रशस्ति पत्र देकर किया गया। इस अवसर पर विभिन संकायों के सदस्य डॉ. लोकेश त्रिपाठी, डॉ. तनुजा सिंह, डॉ. रामेश्वर रायकवार, डॉ. ऋतुराज सिंह, डॉ. कनिका चौधरी ने कार्यशाला में सक्रिय सहयोग दिया। मंच संचालन और पंजीकरण व्यवस्था को विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं सूफ़िया, प्रियांशु, अभिनव ने संभाला। कार्यशाला के अंत में डॉ. संजय कुमार ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।