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गंभीर मांसपेशियों की चोट से जुड़े किडनी फेलियर के जटिल केस का उदयपुर में सफलतापूर्वक इलाज

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09 Dec 24
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गंभीर मांसपेशियों की चोट से जुड़े किडनी फेलियर के जटिल केस का उदयपुर में सफलतापूर्वक इलाज

उदयपुर: किडनी फेलियर के अप्रत्याशित कारणों को दर्शाने वाले एक दुर्लभ केस में पारस हेल्थ उदयपुर के डॉक्टरों ने एक 27 वर्षीय व्यक्ति का सफलतापूर्वक इलाज किया है। व्यक्ति को मांसपेशियों की चोट के कारण रीनल कॉम्प्लिकेशन के साथ भर्ती कराया गया था। यह केस पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देता है कि किडनी फेलियर मुख्य रूप से डायबिटीज, हाइपरटेंशन या ग्लोमेरुलर बीमारी जैसी बीमारियों के कारण होता है। अमित यादव (बदला हुआ नाम) उदयपुर स्थित मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में खतरनाक लक्षणों के साथ भर्ती हुए थे। इन लक्षणों में कम पेशाब आना, बाय लेट्रल पेडल एडिमा, उसके निचले अंगों में सूजन, पेट में दर्द और लाल रंग का पेशाब आ रहा था। ये लक्षण एक हफ्ते से ज्यादा समय तक से थे । भर्ती होने पर जांच कराने से पता चला कि क्रिएटिनिन और पोटेशियम का स्तर गंभीर रूप से बढ़ा हुआ है, साथ ही अग्न्याशय में सूजन, लीवर की चोट और किडनी में सूजन है। उसके शरीर पर कई चोटें भी थीं, जो कथित तौर पर शारीरिक झगड़े के दौरान लगी थीं। आगे की जांच में रबडोमायोलिसिस की बात सामने आई।  रबडोमायोलिसिस मांसपेशियों के गंभीर रूप से टूटने के कारण हुई । उनके मूत्र में मायोग्लोबिन की मौजूदगी की पुष्टि डायग्नोस्टिक परीक्षणों के माध्यम से हुई, साथ ही क्रिएटिन फॉस्फोकाइनेज (CPK) का स्तर 50,000 से ज्यादा था। इन सब कारकों के कारण एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) हुई, जिस वजह से मूत्र उत्पादन में कमी आई। पारस हेल्थ उदयपुर के डॉ. आशुतोष सोनी कंसलटेंट नेफ्रोलॉजी ने कहा, "यह केस किडनी फेलियर के अपरंपरागत कारणों को पहचानने के महत्व को दर्शाता है। अमित के किडनी फेलियर का कारण मांसपेशियों से निकला मायोग्लोबिन  नाम का प्रोटीन था, जो की किडनी में जमा होकर ,जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं। । ऐसे केस में रिकवरी के लिए शुरुआती पहचान और तुरंत हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है।” मरीज को मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (MICU) में भर्ती कराया गया, जहाँ उनकी किडनी फंक्शन को नियंत्रित करने के लिए उन्हें कई बार हेमोडायलिसिस से गुजरना पड़ा। तीन यूनिट पैक्ड रेड ब्लड सेल्स (PRBC) चढ़ाने और मेटाबॉलिक स्टेबलाइजेशन सहित सपोर्टिव उपाय किए गए। धीरे-धीरे उनके मूत्र उत्पादन में सुधार हुआ और उनके किडनी के कार्य में सुधार के संकेत दिखाई दिए। इलाज 8 से 10 दिन तक चला। इलाज के शुरुआती स्टेज के बाद मरीज़ की हालत स्थिर हो गई। कई हफ्ते तक लगातार देखभाल और निगरानी के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गए और स्थिर हालत में हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। यह केस फिजिकल ट्रॉमा (शारीरिक आघात) और मांसपेशियों की चोटों सहित रीनल फेलियर के विभिन्न कारणों को पहचानने के महत्व पर प्रकाश डालता है, और जटिल केसों को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए समय पर मल्टी डिस्प्लीनरी मेडिकल केयर की आवश्यकता को दर्शाता है। पारस हेल्थ उदयपुर क्षेत्र में सुलभ और गुणवत्तापूर्ण हेल्थकेयर प्रदान करने के लिए जाना जाता है। हॉस्पिटल में डॉक्टरों की एक अनुभवी टीम है जो मरीजों को सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
 


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