उदयपुर: पारस हेल्थ, उदयपुर इस विश्व अर्थरायटिस दिवस के उपलक्ष्य में अर्थरायटिस बीमारी पर जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी हो गया है। अर्थरायटिस एक कॉमन स्वास्थ्य समस्या है। इस बीमारी से भारत सहित दुनिया भर में लाखों लोगों ग्रसित हैं।अर्थरायटिस केवल बुजुर्गों को ही नहीं होती है बल्कि यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। अर्थरायटिस के 100 से ज्यादा अलग-अलग प्रकार हैं। सबसे प्रचलित ऑस्टियोआर्थरायटिस और रुमेटॉइड अर्थरायटिस हैं। इन दोनों से पीड़ित होने पर गंभीर दर्द और विकलांगता हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 60 वर्ष से ज्यादा आयु के लगभग 9.6% पुरुष और 18% महिलाएँ ऑस्टियोआर्थरायटिस से पीड़ित हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा 22% से 39% तक है।
ऑस्टियोअर्थरायटिस एक कमजोर करने वाली बीमारी है। इस बीमारी में जोड़ों को सहारा देने वाली कार्टिलेज (उपास्थि) धीरे-धीरे खराब हो जाती है, जिससे दर्द, सूजन और अकड़न होती है। यह दर्द अक्सर कूल्हों और घुटनों में होता है। वहीं रुमेटॉइड अर्थरायटिस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसमें इम्यून सिस्टम गलती से जोड़ों पर हमला करता है, जिससे सूजन और दर्द होता है। इससे अक्सर एक साथ कई जोड़ प्रभावित हो सकते है।
पारस हेल्थ उदयपुर में डॉ. मोहित गोयल : सलाहकार - रुमेटोलॉजिस्ट और क्लिनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट इस बीमारी के निवारण में समय पर हस्तक्षेप के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं, "अर्थरायटिस दैनिक जीवन को काफी प्रभावित कर सकता है, लेकिन समय पर डायग्नोसिस और इलाज़ से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सही दृष्टिकोण के साथ इलाज़ कराने से पीड़ित व्यक्ति दुबारा पहले की तरह सारे काम करने के काबिल हो सकता है। अपरिवर्तनीय क्षति को रोकने के लिए लक्षणों का जल्दी समाधान करना महत्वपूर्ण होता है।” पारस हेल्थ उदयपुर में डॉ. आशीष सिंघल :वरिष्ठ सलाहकार आर्थोपेडिक और रोबोटिक घुटने प्रतिस्थापन सर्जन सक्रिय लाइफस्टाइल के महत्व पर जोर देते हुए कहते हैं, "नियमित एक्सरसाइज, साइकिल चलाना और वजन नियंत्रण को अपनी रूटीन में शामिल करने से अर्थरायटिस के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके साथ ही कैल्शियम और विटामिन D का उचित सेवन हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे आप उम्र बढ़ने के साथ-साथ गतिशील और दर्द से मुक्त रहते हैं।”
चूंकि भारत में बढ़ती उम्र और गतिहीन लाइफस्टाइल के कारण अर्थरायटिस एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बन गया है, इसलिए इसके लक्षणों को समय रहते पहचानना और उचित मेडिकल देखभाल प्राप्त करना बहुत जरूरी होता है। जोड़ों के दर्द या अकड़न को नज़रअंदाज़ करने से लॉन्गटर्म विकलांगता हो सकती है, जिससे जीवन की गुणवत्ता ख़राब हो सकती है। विश्व अर्थरायटिस दिवस पर पारस हेल्थ के हेल्थकेयर प्रोफेसनल्स व्यक्तियों से सक्रिय लाइफटाइल बनाए रखने, संतुलित डाइट खाने और परेशानी के पहले लक्षण दिखने पर डॉक्टर से कंसल्ट करके जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हैं। प्रारंभिक डायग्नोसिस और उचित मैनेजमेंट से लोग अर्थरायटिस के प्रभाव को कम कर सकते हैं और बेहतर जीवन की गुणवत्ता का आनंद ले सकते हैं।