उदयपुर: आमतौर पर घुटनों में तीन कम्पार्टमेंट होते हैं और जब कोई भी कम्पार्टमेंट क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो डॉक्टर टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने का सुझाव देते हैं। ९०% केसेस में घुटने का एक ही कम्पार्टमेंट ( Medial Compartment ) क्षतिग्रस्त होता है। जिस के लिए पूरा घुटना प्रत्यारोपण न कर सिर्फ डैमेज्ड कम्पार्टमेंट को की बदलने की प्रक्रिया को पार्शियल घुटना रिप्लेसमेंट कहते है। इसी तरह के एक केस उदयपुर के पारस हॉस्पिटल में आया। जहां एक 47 वर्षीय व्यक्ति का घुटने का एक हिस्सा / कम्पार्टमेंट क्षतिग्रस्त हो गया था। इस व्यक्ति का उदयपुर के पारस हेल्थ हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक आंशिक घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी (यूनिकॉन्डाइलर नी रिप्लेसमेंट) की गई है।
गत माह मैं मरीज को घुटने में दर्द, सूजन , चलने में समस्या एवम टेडेपन की शिकायत होती थी । इस समस्या से निजात पाने के लिए उसने कई डॉक्टरों से कंसल्ट किया। सभी डॉक्टरों ने उसे टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने की सलाह दी। इसके बाद उसने उदयपुर स्थित पारस हेल्थ हॉस्पिटल में दिखाया।
पारस हेल्थ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में जोड प्रत्यारोपण और स्पोर्ट्स मेडिसिन के सीनियर कंसलटेंट डॉ. राहुल खन्ना ने मरीज का क्लिनिकल इवेल्यूएशन करने के बाद स्कैनोग्राम द्वारा पैर में टेडेपन का एंगल कैलकुलेट किया और मरीज की तकलीफ एवम उम्र के अनुसार केस की स्टडी की। इसके बाद उन्होंने मरीज़ की कम उम्र को देखकर ,पार्शियल (आंशिक घुटने) रिप्लेसमेंट सर्जरी का सुझाव दिया। उन्होंने सटीक तरीके से उसका ऑपरेशन किया और ऑपरेशन के दिन ही मरीज चलने के साथ-साथ अपने घुटनों को मोड़ने में भी सक्षम हो गया। मरीज को उस दर्द से भी राहत मिली जो उसे लंबे समय से परेशान कर रही थी। पारस हेल्थ में सर्जरी से उसे बहुत राहत मिली।
चूंकि यह एक खास केस था, इसलिए आज यहां हॉस्पिटल परिसर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जहां डॉ. राहुल ने अपनी टीम के साथ केस स्टडी साझा की।
इस केस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए डॉ खन्ना ने कहा, “हमारा सुझाव है कि ऐसे केसों में जहाँ घुटनों के किसी भी हिस्से को नुकसान पहुँचता है, वहां पर घुटने के कुछ ही हिस्से की रिप्लेसमेंट सर्जरी को प्राथमिकता दी जा सकती है। इसे यूनिकॉन्डिलर नी रिप्लेसमेंट के रूप में भी जाना जाता है। इस तरह की सर्जरी के कई फायदे है। जैसे कम रक्त स्त्राव, ˌऐनˈटॉमिक्ल् करेक्शन ,जल्द रिकवरी, छोटा चीरा एवम सेल्फ रिहैबिलिटेशन। एनाटिमिकल करेक्शन का महत्व शारीरिक रूप से सटीक प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। मरीजों को जल्दी ठीक होने से लाभ होता है और वे अक्सर सेल्फ-रिहैबिलिटेशन कर सकते हैं।”यह केस पारस हेल्थ उदयपुर की गंभीर बीमारियों और डिसऑर्डर के लिए अत्याधुनिक इलाज सुविधाएं प्रदान करने की प्रतिबद्धता का सबूत है। हॉस्पिटल मरीजों को ठीक करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है। हॉस्पिटल ऐसे केस स्टडीज़ को प्रदर्शित करके और साथ ही जागरूकता पैदा करके उदाहरण पेश करना जारी रखे हुए है।