(mohsina bano)
उदयपुर। पेसिफिक यूनिवर्सिटी और एसोसिएशन ऑफ कम्युनिटी फार्मासिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “डोमेन बियॉन्ड पेटेंटिंग एंड इमरजिंग फील्ड इन फार्मेसीः अवसर और चुनौतियाँ” का समापन नवाचार और पेटेंट की उपयोगिता को आमजन तक पहुँचाने की अपील के साथ हुआ।
सम्मेलन में फार्मेसी क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया। ओरल प्रेजेंटेशन में प्रथम सलोनी भंडारी, द्वितीय डॉ. मनुषी, तृतीय डॉ. अंकिता जोशी, तनीषा अग्रवाल और प्रशांत प्रजापति, तथा सांत्वना पुरस्कार उत्कर्ष परमार को मिला। पोस्टर प्रेजेंटेशन में प्रथम महिमा खंडेलवाल, द्वितीय विनय मेवाड़ा, तृतीय साहिल उमराव और संस्कृति एवं विशाल स्वामी को पुरस्कृत किया गया।
पेसिफिक ग्रुप ऑफ एजुकेशन के संस्थापक राहुल अग्रवाल ने बताया कि पाहेर और गोवा सेंटर ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के बीच आईपीआर पर एमओयू किया गया, जिससे शैक्षणिक गतिविधियों में उच्च गुणवत्ता आएगी और विद्यार्थियों को नवाचार के अवसर मिलेंगे।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि बनाकर कंसल्टिंग सर्विसेज, वेस्टफील्ड, यूएसए के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. उमेश वी. बनाकर, तथा विशिष्ट अतिथि प्रेसिडेंट पेसिफिक यूनिवर्सिटी प्रो. हेमंत कोठारी रहे। इंटैंजिया एडवाइजर्स एलएलपी की संस्थापक एवं आईपीआर अधिवक्ता एडवोकेट सुरभि शर्मा, पेटेंट विशेषज्ञ डॉ. राहुल तनेजा, तथा रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एम्बर व्यास ने भी अपने विचार साझा किए।
प्रो. उमेश वी. बनाकर ने कहा, "बौद्धिक संपदा केवल पेटेंट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और ट्रेड सीक्रेट जैसे कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं, जिनका सही दिशा में उपयोग किया जाना चाहिए।"
एडवोकेट सुरभि शर्मा ने बौद्धिक संपदा के कानूनी पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि पेटेंट को व्यावहारिक रूप से उपयोग में लाना आवश्यक है, जिससे नवाचार को सही कानूनी संरक्षण मिल सके।
प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि नवाचारों को कानूनी सुरक्षा देने के वैकल्पिक उपायों पर विचार किया जाना चाहिए ताकि फार्मेसी क्षेत्र में खोजों को व्यावसायिक सफलता मिल सके।
प्रो. हेमंत कोठारी ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करते हुए गैर-पेटेंट योग्य क्षेत्रों की चुनौतियों पर चर्चा की और कहा कि व्यापारिक पद्धतियों, एल्गोरिदम और प्राकृतिक खोजों को संरक्षित किया जाना आवश्यक है।
डॉ. राहुल तनेजा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और बायोटेक्नोलॉजी जैसी तकनीकों में बौद्धिक संपदा की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. एम्बर व्यास ने गैर-पेटेंट योग्य नवाचारों और उनके व्यावसायिक महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि कई खोजें पेटेंट योग्य नहीं होतीं, फिर भी वे अत्यधिक उपयोगी साबित होती हैं।
केमरोबोटिक्स के रितेश अग्रवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि आईपीआर और पेटेंट तकनीक की मदद से कैसे उन्होंने अपनी कंपनी को बड़ी कंपनियों में शामिल किया।
अंत में, अंकित पालीवाल ने आभार व्यक्त किया और बताया कि इस सम्मेलन में देशभर के विभिन्न राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिससे फार्मेसी क्षेत्र में नवाचार और बौद्धिक संपदा को नई दिशा मिली।
फार्मेसी संकाय के डीन ने सभी अतिथियों, विशेषज्ञों और प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सम्मेलन शोधकर्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों के बीच एक सार्थक संवाद स्थापित करने में सफल रहा।