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आदिवासियों के विकास के लिए राष्ट्रपति ने संविधान के अनुरुप राज्यपालों को पाबंद किया

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18 Apr 25
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आदिवासियों के विकास के लिए राष्ट्रपति ने  संविधान के अनुरुप राज्यपालों को पाबंद किया

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए अधिकारियों को गंभीर प्रयास करने की हिदायत दी है।

राज्यपाल बागड़े ने आदिवासियों के लिए विभागीय बजट एवं व्यय के हिसाब और लक्ष्यों की कागजी पूर्ति की बजाय अनुसूचित क्षेत्र में व्यावहारिक रूप में आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार के प्रयासों पर जोर दिया। साथ ही उनके लिए बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं, कौशल प्रशिक्षण और विद्यार्थियों की शिक्षा पर होने वाले खर्च की पूरी निगरानी रखने और उन्हें विकास योजनाओं से लाभान्वित किए जाने पर भी जोर दिया।

संविधान में आदिवासियों के विकास के लिए राष्ट्रपति को सीधे जिम्मेदार बताया गया है और राष्ट्रपति ने राज्यपालों को इसके लिए पाबंद किया  है। अनुसूचित क्षेत्रों टीएसपी एरिया में आदिवासियों के सर्वांगीण विकास की जिम्मेदारियों को पूरा कराने के लिए राज्यपाल समय समय पर राज्य सरकारों और उनके अधिकारियों को पाबंद करते है और समीक्षा बैठक कर टीएसपी एरिया की योजनाओं की क्रियान्विति की जानकारी लेते है।

इसी क्रम में राजस्थान के राज्यपाल बागड़े ने  गुरुवार को राजभवन में अनुसूचित क्षेत्र में जनजाति कल्याण हेतु संचालित योजनाओं एवं विकास कार्यों की समीक्षा की और अधिकारियों को जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों के पारंपरिक पशुपालन व्यवसाय, दुग्ध उत्पादन, हस्तशिल्प, कारीगरी व्यवसायों और स्थानीय हस्तशिल्प कलाओं की प्रभावी मार्केटिंग करने पर भी जोर दिया। उन्होंने राज्य के सभी 9 जनजातीय जिलों के कलेक्टरों से घुमंतू और भीख मांगने वाले लोगों से संवाद कर उनके बच्चों की शिक्षा की पुख्ता व्यवस्था किए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में संचालित आश्रम छात्रावासों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने, वहां निर्माण कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग करने और औचक निरीक्षण कर जनजातीय क्षेत्रों का सभी स्तरों पर विकास सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।

बैठक में राज्यपाल ने कुछ समय पहले राजसमंद जिले में किए गए अपने दौरे के दौरान छात्रावास एवं विद्यालय के मध्य दूरी की असुविधा को देखते हुए बालिकाओं के लिए परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। बैठक में उन्होंने इस संबंध में की गयी कार्यवाही के बारे में भी जानकारी ली। बैठक में बताया गया कि छात्राओं के लिए 23 मार्च से ही परिवहन की सुविधा सुनिश्चित कर दी गयी है।

राज्यपाल ने अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी लोगों द्वारा वनाधिकार पट्टों के दावों के भी शत प्रतिशत निस्तारण के निर्देश दिए। उन्होंने दावों की प्रगति की समीक्षा की और लंबित दावों पर त्वरित कार्यवाही करने की हिदायत दी। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में लगे अधिकारियों के बारे में भी जानकारी ली और कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में वहां के अधिकारी और कर्मचारी ही लगने चाहिए  ताकि वे जमीनी स्तर पर स्थानीय आवश्यकताओं और विकास की संभावनाओं के आधार पर प्रभावी परिणाम दे पाएंगे।

बैठक में अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, सिरोही, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, पाली तथा सलूम्बर के जिला कलेक्टर भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में सम्मिलित हुए।

बैठक में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के मंत्री  बाबूलाल खराड़ी,राज्यपाल के सचिव डॉ. पृथ्वी  अतिरिक्त मुख्य सचिव जल  संसाधन, वित्त विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, ग्रामीण  विकास, प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शासन सचिव कार्मिक विभाग, जनजाति क्षेत्र, कृषि और ग्रामीण विकास विभाग, स्कूल शिक्षा, कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग, आयुक्त, पंचायती राज सहित बड़ी संख्या में अधिकारियों ने भाग लिया। 

संवैधानिक बाध्यताओं के कारण भारत के राष्ट्रपति और संबद्ध प्रदेशों के राज्यपाल अनवरत जनजाति योजनाओं की प्रगति और क्रियान्वयन की समीक्षा करते है। निश्चित रुप से इससे आजादी के वक्त और वर्तमान समय में आदिवासी क्षेत्रों की दशा एवं दिशा में सुधार हुआ है।

 


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