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*गोवा के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से की भेंट*
*राष्ट्रीय सिंधी भाषा संर्वधन परिषद की बैठक में लिया भाग*
राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान और गोवा देश विदेश में अव्वल है। दोनों प्रदेश राष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर और राष्ट्र की एकता के परिचायक है।उन्होंने कहा कि गोवा में समुद्र तट और राजस्थान में रेत के धोरे देश एवं विदेश के लोगो के लिये आकर्षण का केन्द्र है।
राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने गोवा के अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन वहाँ एक भारत, श्रेष्ठ भारत के तहत आयोजित राजस्थान दिवस समारोह में भाग लिया। इस कार्यक्रम में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत एवं केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद नायक भी उपस्थित रहे।
समारोह में बडी संख्या में प्रवासी राजस्थानी और स्टेनली लोग मौजूद थे। समारोह में राजस्थान के सांस्कृतिक कार्यक्रम,लोक नृत्य और गीत आदि प्रस्तुत किये गये। देवनानी ने समारोह का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया। गोवा की धरती पर राजस्थानी साफा पहनाकर उनका स्वागत किया गया।
देवनानी ने कहा कि राज्यों की सांस्कृतिक विविधता ही भारत की अनेकता में एकता की खूबी है।राजस्थान की जीवनशैली में सादगी और आतिथ्य प्रेम और गोवा की प्रकृति से निकटता से जुडने की खूबी है।
देवनानी ने राजस्थान के शौर्य, त्याग, बलिदान, साहस एवं समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं को याद करते हुये कहा कि गोवा में राजस्थान दिवस का आयोजन राजस्थान एवं गोवा में प्रवासी राजस्थानी लोगों के लिये गौरव का विषय है। राजस्थान और गोवा में सांस्कृतिक समानताएं है। दोनों राज्यों का विविधतापूर्ण प्राकृतिक सौन्दर्य ऐतिहासिक एवं गौरव पूर्ण है। गोवा की पहचान मनोहारी समुद्री तट है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गोवा और राजस्थान के बुनियादी ढांचा विकास, पर्यटन संर्वधन और ऊर्जा संरक्षण के लिये विशेष प्रयास किये गये है। दोनों राज्यों के किले केवल स्थापत्य के ही उदाहरण नहीं है बल्कि वे संघर्ष और इतिहास के भी साक्षी है।
देवनानी ने कहा कि प्रवासी राजस्थानी देश और विदेश में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे है। उन्होंने प्रवासियों को अपनी जड़ों से जुड़ने का आव्हान किया। समारोह में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मान किया गया ।
*गोवा के राज्यपाल पिल्लई से मुलाकात*
देवनानी ने मंगलवार को गोवा राजभवन में गोवा के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई से शिष्टाचार मुलाकात की। पिल्लई ने देवनानी को नव प्रकाशित पांच पुस्तकें हेवनली आईस लैण्ड ऑफ गोवा, बेसिक स्ट्रक्चर एण्ड रिपब्लिक, बामन वृक्ष कला, ओह मिजोरम और अहिल्या चिन्ताकाल पुस्तके भेंट की। देवनानी ने भी पिल्लई को राजस्थान विधान सभा का स्मृति चिन्ह और विधान सभा में नवाचारों का एक वर्ष पुस्तक और विधान सभा की दैन्दिनी की प्रति भेंट की। गोवा के राज्यपाल ने देवनानी द्वारा विधान सभा में किये गये नवाचारों पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उनकी इन पहलों को देश के अन्य विधान मण्डलों के लिए अनुकरणीय बताया।
*देवनानी ने गोवा के मुख्यमंत्री से की शिष्टाचार मुलाकात*
देवनानी ने अपने गोवा प्रवास के दौरान गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत से मुख्यमंत्री आवास पर शिष्टाचार भेंट की। देवनानी ने सावंत से विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा की। श्री देवनानी ने श्री सावंत को राजस्थान विधान सभा का स्मृति चिन्ह, विधान सभा दैनंदिनी और नवाचारों का एक वर्ष पुस्तक भेंट की।
राजस्थान विधान सभा में नवाचारों के एक वर्ष पुस्तक के लिये गोवा के मुख्यमंत्री सावंत ने राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष देवनानी को शुभकामनाएं देते हुये कहा कि विधान सभा में उनकी पहल अन्य विधान सभाओं के लिये अनुकरणीय है। एक वर्ष में अनेक नवाचार देवनानी की दूरदर्शिता का परिचायक है। जिसके परिणामों से राजस्थान विधान सभा को नई दिशा मिल सकेगी।
*सिंधी समाज की समस्याओं पर की चर्चा*
देवनानी ने गोवा सिंधी समाज को गोवा में होने वाले फिल्म उत्सव को जोड़े जाने, गोवा में सिंधी अकादमी की स्थापना और सिंधी समाज को रियायती दर पर जमीन उपलब्ध कराने जैसे बिन्दुओं पर मौके पर ही गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से चर्चा की। गोवा के मुख्यमंत्री ने गोवा के सिंधी समाज की उनके द्वारा बताई गई समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए आश्वस्त किया।
*सिंधी समाज ने किया देवनानी का अभिनन्दन*
विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का गोवा प्रवास के दौरान वहां के सिंधी समाज सहित अनेक सामाजिक संगठनों ने उनका शॉल ओढाकर, साफा पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया। देवनानी को गोवा के सिंधी समाज की ओर से कविता आसनानी, सन्नी नारंग, राजा मेलवानी और अनिल रहेजा ने गोवा में सिंधी समाज के उत्थान और विकास के लिए आवश्यकताओं पर चर्चा करते हुए समस्याओं के बारे में बताया।
*आध्यात्मिक स्थलों के किये दर्शन*
देवनानी ने अपनी दो दिवसीय गोवा यात्रा के दौरान वहां के प्रमुख ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्थलों का अवलोकन किया। देवनानी ने मंगलवार को प्रातः गोवा के प्रसिद्ध श्रीमंगुएस मंदिर, श्रीमहालासा मंदिर और श्रीमहालक्ष्मी मंदिर के दर्शन किये। देवनानी ने इन आध्यात्मिक स्थलों पर पूजा-अर्चना कर देश और प्रदेश की खुशहाली की कामना की।
*राष्ट्रीय सिंधी भाषा संर्वधन परिषद की बैठक*
देवनानी ने मंगलवार को गोवा में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के उच्चतर शिक्षा विभाग के राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद की अखिल भारतीय स्तर की महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित किया । बैठक में परिषद के सदस्यगण और अधिकारियों ने भाग लिया।
देवनानी ने कहा कि सिंधी भाषा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और साहित्यिक परम्परा की वाहक है। सिंधी भाषा का सिंधी समुदाय की पहचान के साथ भाषागत विविधता को बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने सिंधी भाषा से नई पीढ़ी के जुडाव को बढ़ाने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुये कहा कि इससे सिंधी भाषा का विकास होगा और युवा अपनी संस्कृति और भाषा से जुड सकेंगे।
सिंधी भाषा के विकास से ही सिंधी भाषा को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय के लोग अपनी भाषा और संस्कृति को दुनिया से साझा करें। इसी से सिंधी भाषा को संरक्षित करने और भाषा की विविधता को बढ़ावा मिल सकेगा। सिंधी समुदाय की युवा पीढ़ी भी अपनी जडों से जुडी रहेगी।
बैठक में देवनानी ने सिंधी भाषा को बढ़ावा देने और उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिये अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिये। देवनानी ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में सिंधी भाषा को एक विषय के रूप में शामिल किया जा सकता है साथ ही सिंधी साहित्य के सिंधी लेखकों, सिंधी समाचारपत्रों व मीडिया में सिंधी कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जावें।देवनानी ने कहा कि सिंधी समुदाय के लोगों को भी सिंधी भाषा के विकास में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार का राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद सिंधी भाषा के विकास, सिंधी भाषा को बढावा देने, विभिन्न भाषाओं में राष्ट्रीय नीति और विचारों को सिंधी भाषा में रूपातंरित कर लोगों को उपलब्ध करानें, सिंधी संवर्धन और सिंधी भाषा से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श और मंथन कर नीतिगत निर्णय लेता है।