राजस्थान में भजन लाल मंत्रिपरिषद के सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा को भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ द्वारा दिए गए कारण बताओ नोटिस दिए जाने के बाद से ही राजस्थान में इन दिनों सियासी हलचल तेज हो गई है। डॉ किरोड़ी लाल मीणा एक साल से ज्यादा अरसे से अपनी ही पार्टी और अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं। हाल ही दौसा विधानसभा के उप चुनाव में अपने छोटे भाई की हार से वे और अधिक रुष्ठ बताए जा रहे है और उन्होंने अपनी सरकार और पार्टी नेताओं पर ही फोन टेपिंग के आरोप लगा दिए हैं। इसके पहले भी
वे कतिपय मुद्दों पर अपनी ही सरकार और पार्टी नेताओं को घेर चुके है। उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान पूर्वी राजस्थान में पार्टी के हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पिछले कई महीनों से अपना इस्तीफा भी दे रखा है और उप चुनावो से पहले वे कई बार अपनी ही सरकार से रूष्ट होकर सरकारी कामकाज छोड़ने, सचिवालय में अपने कार्यालय नहीं जाने ,सार्वजनिक सभाओं में व्यंग बाण छोड़ने आदि कई कृत्य कर चुके है।
अब राजस्थान की राजनीति में फोन टैपिंग विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस प्रकरण में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उनसे पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता को लेकर तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। दरअसल, पिछले दिनों डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने जयपुर के आमागढ़ मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी ही सरकार पर जासूसी करने और फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि मेरी जासूसी हो रही है, फोन टैप किया जा रहा है।
डॉ किरोड़ी लाल मीणा के इन आरोपों के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया था, क्योंकि विपक्ष ने विधानसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया था। मुख्यमंत्री शर्मा से जवाब मांगते हुए जमकर नारेबाजी की थी। इसे सरकार की अंदरूनी कलह का मामला बताते हुए भाजपा पर निशाना साधा था। वहीं, भाजपा नेतृत्व ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया था।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि आप भारतीय जनता पार्टी के सदस्य है और भारतीय जनता पार्टी के टिकिट पर राजस्थान विधानसभा के लिए सवाई माधोपुर क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुये हैं। नोटिस में कहा गया कि आपने गत दिनों मंत्री परिषद से त्यागपत्र की सूचना समाचार पत्रों में प्रकाशन हेतु उपलब्ध करवाई एवं सार्वजनिक रूप से समाचार पत्रों में बयान देकर भाजपा नीत सरकार पर आप के टेलीफोन टेप कराने का आरोप लगाया जो असत्य है। आपने सार्वजनिक रूप से उपरोक्त बयान दे कर भारतीय जनता पार्टी एवं भाजपा की बहुमत वाली सरकार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का कृत्य किया। आपका उपरोक्त कृत्य भारतीय जनता पार्टी के संविधान में वर्णित अनुशासन भंग की परिभाषा में आता है
नोटिस में आगे कहा गया कि आपके उपरोक्त बयान को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी के संविधान में वर्णित अनुशासनहीनता माना है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार आपको यह “कारण बताओ नोटिस” भेजा जा रहा है। अतः आप उपरोक्त नोटिस में वर्णित आरोपों का तीन दिन के अंदर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, अन्यथा यह समझा जायेगा कि आपको उपरोक्त आरोप के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं देना है।
डॉ किरोड़ी लाल ने कहा था कि जब मैंने भ्रष्टाचार के कुछ मामलों को उजागर किया, तो सरकार ने मेरी गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी। 50 फर्जी थानेदारों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन जब मैंने परीक्षा रद्द करने की मांग की तो सरकार ने मेरी बात नहीं मानी। उल्टा मेरे खिलाफ सीआईडी लगा दी गई और फोन टैपिंग शुरू कर दी गई। डॉ किरोड़ी लाल मीणा को अनुशासनहीनता का नोटिस तो मिल गया लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या ये नोटिस महज एक खानापूर्ति साबित होगा। डॉ मीणा को तीन दिनों के भीतर जवाब देना होगा। खुद किरोड़ी मीणा अपने आप को पार्टी का निष्ठावान सिपाही बताकर तय समय सीमा में जवाब देने की बात कह रहे हैं, लेकिन उनका जवाब क्या होगा? क्योंकि भले ही देर से ही सही लेकिन डॉ किरोड़ी लाल मीणा की बयानबाजी पर अंकुश लगाने की कवायद तो भाजपा ने आखिर शुरू कर ही दी हैं।
राजनीतिक जानकार बताते है कि सच्चाई ये है कि डॉ किरोड़ी लाल ने सरकार और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समेत जिस किसी भी मुद्दे पर बगावती तेवर दिखाए वो सब रिकार्ड पर हैं। ये तमाम बातें सार्वजनिक स्थानों पर कही गईं थी, इन सभी के वीडियो भी हैं। ऐसे में डॉ किरोड़ी मीणा का ये कह पाना कि उन्होंने ये सब बाते नहीं कहीं थी बहुत मुश्किल होगा। डॉ किरोड़ी लाल मीणा के ताजा बयान जो उन्होंने जयपुर के आमागढ़ में छह फरवरी को दिया था, वो तो सीधे सीधे सीएम और उनके अधीन आने वाले गृह विभाग पर खुला हमला था। ऐसे में अपने बचाव में वो क्या जवाब देंगे ये वो ही बेहतर बता सकते है।
इस पूरे मामले में देखने वाली बात ये होगी कि क्या वाकई डॉ किरोड़ी लाल मीणा के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही हैं या ये सिर्फ विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस के संभावित हमलों से बचने की रणनीति है। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉ किरोड़ी लाल मीणा को जारी किए गए नोटिस को लेकर कांग्रेस को ऐसा ही लग रहा है कि ये सिर्फ दिखावा मात्र है। नेता प्रतिपक्ष टीका राम जूली ने अपने सोश्यल मीडिया पर जो बयान पोस्ट किया है उससे साफ है कि कांग्रेस अब मुख्यमंत्री भजन लाल के सदन में जवाब के बिना मानने वाली नहीं है।
डॉ किरोड़ी लाल के बगावती तेवर किसी से छुपे नहीं है। एक बार वे अपनी पार्टी से बगावत कर कांग्रेस की गहलोत सरकार के अपनी पत्नी गोलमा देवी को मंत्री बना चुके है। उनको चाबी एक जुझारू मीणा नेता की है और वे जनहित के मामलों में अनेक बार जन संघर्ष अभियानों का नेतृत्व भी कर चुके है। भाजपा के वर्तमान दौर में कोई नेता यदि लक्ष्मण रेखा पार करते है उसे शीर्ष नेतृत्व बर्दास्त नहीं करता। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प है कि इस सारे प्रकरण में इस बार डॉ किरोड़ी लाल मीणा के खिलाफ भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कोई एक्शन लेने जा रही है या नहीं?