उदयपुर। दक्षिणी राजस्थान के ऐतिहासिक डूंगरपुर नगर में महिला स्वरोजगार के लिए किए गए भगीरथी प्रयास प्रदेश और देश की महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ी हो कर स्वाभिमान के साथ अपना जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहे है। साथ ही यह सराहनीय प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वरोजगार और स्वालंबन को बढ़ावा देने की भावना को भी पूरा कर रहे है।
डूंगरपुर में स्वरोजगार के लिए यह पहल तत्कालीन नगर परिषद के चैयरमेन के के गुप्ता ने की थी जोकि आज भी सैकड़ों महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। के के गुप्ता ने डूंगरपुर नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान नगर परिषद के प्राथमिक कर्तव्यों को पूरा करने के अलावा स्वच्छता के क्षेत्र में डूंगरपुर नगर का नाम देश विदेश में ऊंचा करने के साथ ही पर्यावरण, जल संचय, बायो ऊर्जा,शिक्षा,योग, जिम, बर्ड सेंचुरी, रोटी बैंक आदि के साथ ही विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में असाधारण काम कर नगर के सर्वांगीण विकास की एक ऐसी इबारत लिख दी कि इस नजीर को अन्य नगर परिषद भी आत्मसात करने लगी है। उन्होंने भिक्षावृति में लगे लोगों को कचरा सेग्रीगेशन प्लांट पर लगाकर रोजगार से जोड़ा जाना तथा रात्री में कचरा संग्रहण जैसे कार्यों से जोड़ने का प्रयोग कर नवाचार के नए आयाम स्थापित किए। इसका लाभ यह हुआ कि नगर में चौरियाँ और सुबह घरों में से सामान उठा कर ले जाने वाली गतिविधियों पर रोक लगी और अन्य अपराधों पर भी अंकुश लगाने में मदद मिली।
गुजरात और विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी उदयपुर से सटे डूंगरपुर नगर में महिला स्वालंबन और स्व रोजगार की यह कहानी बहुत दिलचस्प और प्रेरणास्पद हैं। के के गुप्ता ने डूंगरपुर नगर परिषद में अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान नगर को बेसहारा और विधवा एवं काम की तलाश कर रही जरूरतमंद महिलाओं को संबल और सहयोग प्रदान करने के लिए गंभीर प्रयास किए जिसके परिणाम स्वरूप हजारों महिलाऐं स्वरोजगार के माध्यम से अपने पैरों पर खड़ी होकर अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हो पाई तथा आज भी अपनी आजीविका कमा कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं।
ऐसी ही एक महिला नीलम श्रीमाल है जिन्होंने के के गुप्ता के अध्यक्षीय कार्यकाल में मिले सहयोग से अपनी संस्था उन्नति का गठन कर अब तक 3000 से भी अधिक महिलाओं को स्व रोजगार से जोड़ने के साथ ही विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यों में भी उन्हें लगाया है। वे बताती है कि के के गुप्ता साहब ने स्वयं हमारी संस्था में आकर करीब एक महीने तक पापड़ बनाने का काम कर संस्था में काम करने वाली अन्य महिलाओं का भी उत्साहवर्धन किया। यहीं नहीं गुप्ता की धर्मपत्नी सुशील गुप्ता भी संस्था को अपना नैतिक समर्थन देने में पीछे नहीं है। वे यह भी बताती है कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान भी संस्था में कार्यरत महिलाओं ने प्रतिदिन हजारों मास्क बनाकर शहर ही नहीं पूरे जिले में वितरित किए और जरूरतमंदों 300 परिवार को प्रतिदिन भोजन बना कर पैकेट वितरण का कार्य किया। यही नहीं, संस्था ने गौ माता के लिए भी प्रतिदिन नगर के निकट स्थित भंडारिया गौ शाला में 500 रोटियां और अन्य सामग्री भेजने का सेवा कार्य भी किया। नगर के राम मंदिर के एक कार्यक्रम के लिए 50,000 दीपक तैयार करने के लिए 150 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया। संस्था सैकड़ों महिलाओं को नियमित सिलाई प्रशिक्षण भी दे रही है। इसके अलावा इन महिलाओं द्वारा नियमित रूप से कपड़े की थैलियां तैयार की गई तथा सस्ती दरों पर बाजार में थैलियां देने से प्लास्टिक का चलन भी खत्म हुआ, जोकि स्वच्छ भारत मिशन के लिए एक बहुत उपलब्धि थी। यहां महिलाओं द्वारा प्रतिदिन कपड़े की हजारों थैलियां तैयार की जाती थी।विकलांग महिलाओं के लिए अलग से मशीन उपलब्ध कराई। जहां पर उन्हें पूजा की थालियां, कुर्सियों की बेट लगाने, थैली बनाना, मसाले बनाना आदि की मशीन उपलब्ध करा कर रोजगार से जोड़ा गया।
वे यह भी बताती है कि के के गुप्ता साहब ने अपने सभापतित्व काल में कई नवाचार किए। इस कड़ी में महिलाओं के लिए सेनेटरी पेड़ बनाने का उपक्रम भी शामिल था। उन्होंने उन्नति संस्था को इससे जोड़ा तथा राजपुर के सामुदायिक भवन में लगाए गए प्लांट में महिलाओं को रोजगार देकर लाभान्वित किया गया। इनमें विधवा और तलाक़ शुदा महिलाएं भी शामिल थी। गुप्ता साहब की उस दूरदर्शी सोच से नगर में बेरोजगारी दूर करने में मदद मिली तथा समाज के वंचित वर्ग विशेष कर बेसहारा महिलाओं को नया आसरा भी मिला और उनका जीवन निरापद बना। वह गरीब, असहाय और बेरोजगार महिलाओं का सहारा बने तथा निस्वार्थ भाव से उन्हें स्वरोजगार से जोड़ आत्म निर्भर बनाने में सहायक बने। उन्होंने संस्था के माध्यम से ऐसी महिलाओं को रोजगार और हस्तशिल्प उत्पादन जैसे पारंपरिक कार्यों तथा आय सृजन कौशल में पारंगत करवा स्वयं सहायता योग्य बना कर उनके जीवन में बदलाव लाने के भागीरथी प्रयास किए।
के के गुप्ता का मानना है कि एक जनप्रतिनिधि का पहला कर्तव्य जरूरतमंद लोगों को स्वरोजगार के साथ ही विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों से जोड़ना है। जनहित के यह काम दृढ़ इच्छा शक्ति, नेक नियत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरुप काम करने के लिए हर क्षेत्र में कामयाबी की कुंजी है। इसलिए वे कहते है कि रोजगार के लिए मोदी जरूरी है जिनकी सोच केवल सरकारी नौकरी के भरोसे नहीं रहते हुए खुद को इतना सक्षम बनाने की है कि आप किसी से नौकरी नहीं माँगें वरन् खुद लोगों को नौकरी देकर उनका और उनके परिवार का सहारा बन सकें।