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भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम का छठा अंतर्राष्ट्रीय भारतीय संस्कृति सम्मेलन 9 नवंबर को

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09 Nov 24
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भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम का छठा अंतर्राष्ट्रीय भारतीय संस्कृति सम्मेलन 9 नवंबर को

नई दिल्ली। भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम द्वारा छठा अंतर्राष्ट्रीय भारतीय संस्कृति सम्मेलन 9 नवंबर को अज़रबैजान की राजधानी बाकू और  12 नवंबर को ग्रीस की राजधानी  एथेन्स में आयोजित होगा।

संगम के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ कुमेश जैन ने बताया कि भारत से सात सदस्यीय  दल इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिल्ली से गुरुवार 8 नवम्बर को बाकू के लिए रवाना हुआ। इस दल में राजस्थान से वीणा समूह के प्रबंध निदेशक हेमजीत मालू और लेखक राजेश अग्रवाल,  छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से वे स्वयं बिलासपुर से डी एस पात्रे, भिलाई से उपभोक्ता आयोग के जज आनंद वर्गिसमध्य प्रदेश के अमरकंटक से सेवानिवृत अधिकारी समुद्र सिंह एवं दीपेंद्र सिंह शामिल हैं।

जैन ने बताया कि भारतीय दल इन देशों के कुछ अन्य शहरों का भी भ्रमण कर वहां की संस्कृति एवं साहित्य के बारे में अध्ययन करने के साथ ही  प्रबुद्ध जनों से विचारों का आदान-प्रदान करेगा।  दल के सदस्यों का दोनों देशों में पदासीन भारतीय राजदूतों से भी मुलाकात करने का कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। इस अवसर पर विभिन्न पत्र पत्रिकाओं का लोकार्पण एवं देश विदेश की डाक टिकटों की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी।

उन्होंने नेबताया कि भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम के संरक्षक और वीणा समूह जयपुर के अध्यक्ष तथा राजस्थान रत्न से अलंकृत के सी मालू के मार्ग दर्शन में संगम की ओर से अब तक  फ्रांस, लंदन, अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, साउथ अफ्रीका ,वियतनाम ,कंबोडिया, मॉरीशस, दुबई ,इटली, स्पेन , स्वीटजरलैंड आदि देशों में  संगोष्ठियों का आयोजन किया जा चुका हैं।

जैन ने बताया कि के सी मालू का प्रयास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की भावना के अनुसार प्रवासी भारतीयों में हिन्दी और आंचलिक भाषाओं का और अधिक विकास हो तथा नई पीढ़ी आधुनिक धारा के मध्य भारतीय संस्कृति और संस्कारों से मजबूती से जुड़ी रहें।

उन्होंने बताया कि राजस्थानी भाषा और राजस्थानी संस्कृति के प्रबल समर्थक मालू प्रवासियों के साथ जुड़ाव में संगीत को सबसे बड़ा माध्यम मानते है इसलिए प्रवासियों विशेष कर राजस्थानी प्रवासियों जिनकी संख्या विदेशों में बहुतायत में हैं उनमें संगम द्वारा राजस्थानी भाषा और राजस्थानी संगीत और लोकगीतों का संवर्धन करने पर भी विशेष बल दिया जा रहा है।

जैन ने बताया कि संगम का दल दोनों देशों की यात्रा के बाद 18 नवम्बर को पुनः स्वदेश लौटेगा।


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