समाज में कुछ ऐसे ही बिरले होते हैं जो अपनी कथनी और करनी के फ़र्क़ को मिटा देते हैं । जीवन भर अपने शिष्यों को ज्ञान देते रहते हैं और मृत्यु पश्चात भी अपने देह का दान कर भविष्य में बनने वाले डॉक्टर के अध्ययन के लिए काम आते हैं ।
आमेट निवासी डॉ मदन लाल डांगी ने कुछ ऐसी ही मिसाल स्थापित करी। आपने जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से 1957 के बेच से मेडिकल की शिक्षा पूर्ण की।
उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में 1967-68 में छात्र-छात्राओं को सर्जरी का कोर्स लेक्चरर के रूप में पढाया करते थे।
आज उसी कॉलेज में भावी चिकित्सक के अध्ययन हेतु उन्होंने अपनी देह का दान कर दिया।
डॉ डांगी ने अपने जीवन काल में राजस्थान के कई नगरों में सरकारी अस्पतालों में एक श्रेष्ठ सर्जन के रूप में सेवाएं प्रदान की। उन्होंने जीवन में समाज सेवा को अर्थोपार्जन से अधिक जरूरी समझ कर जरूरतमंदों के लिए एक मसीहा के रूप में कार्य किया। दिन रात एक करके ग़रीब मरीजों की सेवा को ही सर्वोपरि माना। रिटायरमेंट के बाद भी आपने अपने पैतृक गांव आमेट में जाकर अपना पूर्ण समय हाई स्कूल चलाने को अर्पित कर दिया जहाँ से उस क्षेत्र की कई प्रतिभाएँ आगे बढ़ पाई। और अंत समय में भी चिकित्सा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अपनी देह को दान कर दिया ।
ऐसे समाज रत्न ने अपने जीवन पर्यंत और उसके बाद भी हम सभी के लिए प्रेरणा का ज्योति पुंज स्थापित किया है ।
उपरोक्त जानकारी उनके पुत्र संजय डांगी ने परिजन जल मित्र डॉक्टर पीसी जैन के माध्यम से दी है।