राजस्थान विधानसभा की सात सीटों झुंझुनूं, दौसा, रामगढ़(अलवर), देवली-उनियारा (टोंक), खिंवसर(नागौर), सलूम्बर और चौरासी (डूंगरपुर) विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव के लिए शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके साथ ही राजस्थान में सात विधानसभा क्षेत्रों के लिए नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।इन सीटों पर आगामी 13 नवम्बर को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा।
इसके साथ ही राजस्थान विधान सभा की सात सीटों के उप चुनावों के लिए चुनावी बिगुल बज गया हैं। भारतीय जनता पार्टी भाजपा हरियाणा विधान सभा में मिली विजय से उत्साहित दिख रही हैं, वहीं कांग्रेस को इण्डिया गठबंधन के सहयोगी दलों से ही खतरा दिखाई दे रहा हैं। आर एल पी के सुप्रीमों सांसद हनुमान बेनीवाल खीवसर में और भारतीय आदिवासी पार्टी बाप के नेता राज कुमार रोत डूंगरपुर ज़िले की चौरासी और सलूंबर विधान सभा सीटों पर सक्रिय हो गये है।
राजस्थान में होने वाले उप चुनावों में गठबंधन को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि गठबंधन पर फैसला हाईकमान करेगा। हम राजस्थान में मिलकर उप चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की टाइमिंग पर अशोक गहलोत ने कहा कि चुनाव आयोग का रवैया अच्छा नहीं है। महाराष्ट्र में 23 नवंबर को नतीजे आएँगे, जबकि 26 नवंबर को विधान सभा के कार्यकाल पूरा होने का अन्तिम दिन है।हइसका मतलब है, शाम को परिणाम आएंगे और नई सरकार के गठन के लिए मात्र दो दिनों का ही समय मिलेगा।आज तक इतिहास में ऐसा नहीं हुआ है कि विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से मात्र दो दिन पहले रिजल्ट आए हो।
राजस्थान विधानसभा की सात सीटों झुंझुनूं, दौसा, रामगढ़(अलवर), देवली-उनियारा (टोंक), खिंवसर(नागौर), सलूम्बर और चौरासी (डूंगरपुर) विधानसभा क्षेत्रों में रिटर्निंग अधिकारियों की ओर से सार्वजनिक सूचना जारी की गई है। उम्मीदवारों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुक्रवार से ही शुरू हो गई है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन के अनुसार चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर होगी।नामांकन-पत्र संबंधित RO के कार्यालय में प्रतिदिन सुबह 11 से 3 बजे के बीच प्रस्तुत किए जा सकेंगे।20 अक्टूबर को नामांकन दाखिल नहीं किए जा सकेंगे।रविवार 20 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश होने के कारण नामांकन दाखिल नहीं किए जा सकेंगे। नामांकन-पत्रों की जाँच सोमवार 28 अक्टूबर को होगी और नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर तय की गई है।अधिसूचना के अनुसार, सभी सात विधानसभा क्षेत्रों के लिए आवश्यक होने पर मतदान 13 नवम्बर को होगा।मतदान की प्रक्रिया सुबह 7 बजे शुरू होकर शाम 6 बजे संपन्न होगी, 23 नवम्बर को मतों की गिनती की जाएगी. घोषित कार्यक्रम के अनुसार, उपचुनाव की समस्त प्रक्रिया 25 नवम्बर तक पूरी होगी.।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने बताया है कि नामांकन के समय अभ्यर्थी सहित अधिकतम 5 व्यक्तियों को आर ओ ऑफिस में प्रवेश की अनुमति होगी। कार्यालय परिसर के 100 मीटर की परिधि में एक अभ्यर्थी केवल 3 वाहनों के साथ प्रवेश कर सकेंगे. अभ्यर्थी तय प्रारूप में पूर्ण भरा हुआ नामांकन-पत्र और शपथ-पत्र प्रस्तुत करेंगे।जिसमें उसके तथा उसके परिवार के सदस्यों की चल-अचल संपत्ति. स्वयं की आपराधिक पृष्ठभूमि का सम्पूर्ण ब्यौरा देना होगा. नामांकन के समय सामान्य अभ्यर्थी के लिए अमानत राशि 10,000 रु.तय है। अनुसूचित जाति और जन जाति के अभ्यर्थियों के लिए 5,000 रुपए अमानत राशि निर्धारित है। हर अभ्यर्थी के लिए चुनाव खर्च की सीमा 40 लाख रुपए निर्धारित की गई है।
राजस्थान में जिन सात सीटों पर उपचुनाव होगा उनमें से चार सीट कांग्रेस, एक सीट सांसद हनुमान बेनीवाल की आर एल पी , एक सीट बाप पार्टी के सांसद राजकुमार रोत की थी। वहीं एक सीट पर बीजेपी जीती थी।गौरतलब है कि खींवसर (नागौर), झुंझुनूं, दौसा, चौरासी (डूंगरपुर) और देवली उनियारा (टोंक)सीट लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद खाली हुई हैं। हनुमान बेनीवाल, बृजेन्द्र ओला, मुरारीलाल मीना, राजकुमार रोत और हरिश्चन्द्र मीणा के सांसद बनने से पांच विधानसभा सीट खाली हुई थी। इसके बाद सलुम्बर से भाजपा विधायक अमृतलाल मीना और रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबैर खान के निधन के बाद यह दोनों सीट भी खाली हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में होने वाले इन उपचुनाव में प्रदेश की दोनों ही बड़ी पार्टी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हैं। जहां एक तरफ मौजूदा भाजपा सरकार अपने 10 महीने के कार्यकाल को लेकर चुनाव में उतरेगी, वहीं कांग्रेस पार्टी अपनी पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं और मौजूदा सरकार की कमियों को लेकर चुनावी मैदान में नजर आएगी। हालाँकि हरियाणा विधान सभा में मिली विजय से भाजपा का आत्म विश्वास इन दिनों सातवें आसमान पर है। भाजपा हरियाणा विधान सभा में मिली विजय से उत्साहित हैं, तो कांग्रेस को इण्डिया गठबंधन के सहयोगी दलों से ही खतरा हैं। ऐसे में देखना है कि इस बार राजस्थान के रण में कौन बाजी मारेगा?