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भारतीय शास्त्रों की उपयोगिता पर विशेष व्याख्यान

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08 Apr 25
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भारतीय शास्त्रों की उपयोगिता पर विशेष व्याख्यान

उदयपुर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में महाविद्यालय के संस्थापक डॉ. ए. राठौड़ की स्मृति में “भारतीय ज्ञान प्रणाली और समसामयिक खोजें” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता व अतिथि, यूनेस्को-एमजीआईईपी के अध्यक्ष एवं पेसिफिक ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज के अध्यक्ष डॉ. बी.पी. शर्मा ने कहा कि आधुनिक युग की कई खोजों की जड़ें हमारे पौराणिक ग्रंथों में पहले से ही मिलती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से प्राचीन शास्त्रों के अध्ययन को प्रासंगिक बताया और कहा कि पूर्वजों की जीवनशैली और आहार प्रणाली उन्हें बीमारियों से बचाती थी।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मेथी, जो एक कड़वी घास मानी जाती है, प्राचीन काल से ही भोजन का हिस्सा रही है और यह शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। डॉ. शर्मा ने रासायनिक कृषि के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए पारंपरिक खेती को पुनः अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में मप्रकृप्रौ विवि, उदयपुर और जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने डॉ. ए. राठौड़ को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वर्ष 1955 में राजस्थान कृषि महाविद्यालय की स्थापना कृषि शिक्षा का ऐतिहासिक कदम था। उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाताओं से प्रतिवर्ष स्मृति व्याख्यान आयोजित करने की अपेक्षा जताई।

अधिष्ठाता डॉ. आर.बी. दुबे ने डॉ. राठौड़ के योगदान और स्मृति व्याख्यान की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीरेंद्र नेपालिया ने किया और अंत में आभार सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. एस.एस. लखावत ने व्यक्त किया।


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