उदयपुर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी राजेन्द्रनगर, हैदराबाद, तैलंगाना की ओर से महाराणा प्रताप कृषि एंव प्रौघोगिकी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय में ’श्रीअन्न का प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन एवं निर्यात’ विषयक पांच दिवसीय महिला प्रशिक्षण शनिवार को संपन्न हुआ। प्रशिक्षण में बांसवाड़ा, राजसंद व उदयपुर जिले की 30 महिलाओं ने भाग लिया।
अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल महिलाओं को 25 से 29 मार्च तक सिद्धहस्त विशेषज्ञों ने श्रीअन्न के विभिन्न बेकरी आयटम जैसे रागी केक, ज्वार डोनट्स, ओट्स कुकीज, ज्वार ब्रेड, बाजरा लड्डू, ज्वार पापड़, कांगणी - नमकीन, बाजरा लच्छा पराठा, ज्वार नान, कांगणी के लड्डू व सावां के फ्राइम, ब्राउनी, कप केक आदि लगभग दो दर्जन खाद्य वस्तुओं को न केवल बनाना सीखा बल्कि समूह बनाकर इन चीजों से धनार्जन करने का संकल्प लिया। प्रशिक्षणार्थियों को विशेषज्ञ वेलेन्टीना ने केक, कुकीज, ब्राउनी, कप केक बनाना सिखाया वहीं विजयलक्ष्मी ने पापड़, पापड़ी, लड्डू बनाना सिखाया। हजारी लाल ने नान, बाजरा नान, ज्वार नान व नूडल्स बनाना सिखाया।
एमपीयूएटी में पादप अनुवांशिकी विभाग की हैड प्रो. हेमलता शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को श्रीअन्न यानी मोटे अनाज में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में बताया। साथ ही आगाह किया कि वे मोटे अनाज को नियमित आहार में काम में लें।
निदेशालय सभागार में आयोजित समापन समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय डॉ. आई.जे. माथुर ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान जो भी बेकरी उत्पाद बनाना सीखे हैं। इसे अब व्यवसायिक स्तर पर बनाएं। महिला समूह बनाकर अपने प्रॉडक्ट बेकरी, संस्थानों को दे तथा मुनाफा कमाएं। कभी मोटे अनाज (श्री अन्न) यथा बाजरा, ज्वार, रागी, कांगणी, सावां, चीना आदि को गरीबों का भोजन माना जाता था, लेकिन आज अमीर आदमी मोटे अनाज के पीछे भाग रहा है। मोटे अनाज में ढेर सारी व्याधियों को रोकने संबंधी पोषक तत्वों की भरमार है, इसलिए लोग श्री अन्न को अपने भोजन में शामिल करने लगे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी राजेन्द्रनगर, हैदराबाद के संयुक्त निदेशक डॉ. गोपाल लाल ने कहा कि लोगों को मोटे अनाज का महत्व समझ में आने लगा है और श्रीअन्न की मांग भी बढ़ी है। प्रशिक्षण का ध्येय भी यही है कि सुदूर गांवों के समाज के कमजोर तबके की युवा महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़े और वे अपने क्षेत्र में नया र्स्टाट अप आरंभ कर सके।
आरंभ में निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय एमपीयूएटी डॉ. आर. एल. सोनी ने प्रतिभागी महिलाओं का आह्वान किया कि अपने-अपने गांव पंहुचकर सबसे पहले श्रीअन्न के विविध उत्पाद बनाकर खुद खाएं, पड़ोसियों व मेहमानों को खिलाएं। इसके बाद समूह बनाकर वृहद उत्पादन कर स्वरोजगार से जुडं़े। खाद्यान्न उत्पादन में हमारा देश आत्मनिर्भर है वहीं फल-सब्जी व दुग्ध उत्पादन में भी देश शीर्ष पर है। कमी केवल प्रसंस्करण की है। प्रसंस्करण की माकूल व्यवस्था नहीं होने से बड़ी मात्रा में फल-सब्जी बेकार हो जाती है। हैदराबाद से आए प्रमुख वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष एससीएसपी योजना डॉ. म. बालाकृष्णन ने कहा कि बाजरा उत्पादन में राजस्थान का नाम देश मंे अव्वल है। बाजरा डायबिटीज को नियंत्रण में करने का सुगम माध्यम है। महिलाएं बाजरा व्यंजन बनाकर नव व्यवसाय आरंभ कर सकती है।
प्रशिक्षण प्रभारी व कार्यक्रम संचालक डॉ. लतिका व्यास ने बताया कि प्रतिभागी महिलाओं को एक निशुल्क किट जिसमें थ्री जार मिक्सर, आलू चिप्स मेकर प्रदान किए। इसके अलावा मिलेट्स रेसिपी की बुकलेट भी दी गई।