उदयपुर। ’प्रत्येक का प्रयास, राजस्थान का विकास’ इस ध्येय वाक्य को मूर्त रूप देने तथा ’विकसित राजस्थान- 2047’ का दीर्घकालिक विजन दस्तावेज तैयार करने के लिए बुधवार को प्रसार शिक्षा निदेशालय सभागार में संभाग स्तरीय हितधारकों स्वयंसेवी संस्थाओं की कार्यशाला का आयोजन किया गया।
नीति आयोग, नई दिल्ली द्वारा परिकल्पित राज्य सहायता मिशन के तहत गठित राजस्थान परिवर्तन एवं नवाचार संस्थान (रीति) की ओर से आयोजित कार्यशाला में उदयपुर संभाग के लगभग सौ प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला आयोजन का जिम्मा राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के प्रमुख ज्ञान संस्थान (एलकेआई) को सौंपा गया है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि पूर्व निदेशक (प्रसार शिक्षा) डाॅ. आई. जी. माथुर ने कहा कि आजादी के सौ वर्ष पूर्ण होने पर ’हमारा राजस्थान कैसा हो’। इस संकल्पना को ढालने के लिए इस तरह की कार्यशाला काफी महत्वपूर्ण है। ’विकसित राजस्थान - 2047’ को मूर्त रूप देने के लिए नौ प्रमुख बिंदुओं क्रमशः अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रबंधन, कृषि और संबद्ध क्षेत्र, उद्योग और बुनियादी ढांचा, पेयजल और सिंचाई, सामाजिक क्षेत्र, विज्ञान प्रौद्योगिकी और उभरते क्षेत्र, शहरी विकास, रोजगार और कौशल विकास तथा हरित संक्रमण सहित बिजली क्षेत्र का समावेश करते हुए योजनाएं बनानी होंगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला प्रमुख ममता कुंवर पंवार ने कहा कि ’विकसित भारत 2047’ भारत सरकार का विजन है जिसका लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। ऐसे मेें जरूरी है कि हम राजस्थान के लिए भी ऐसा रोडमैप तैयार करें ताकि ’विकसित राजस्थान’ की सौगात देश को दे सकें। आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, पार्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ हर परिवार के लिए पक्का घर, स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास की ऐसी रणनीति तैयार करें ताकि सभी को लाभ मिल सके।
आरंभ में नोडल ऑफिसर एवं राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में प्रोफेसर डाॅ. अंशु भारद्वाज ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की ओर से इससे पूर्व अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, कोटा में भी इस तरह की संभाग स्तरीय कार्यशाला आयोजित की जा चुकी है। राज्य स्तर पर जयपुर में समापन कार्यशाला आयोजित होगी जिसमें विकसित राजस्थान - 2047 के विजन, मिशन और चुनौतियों का बारीकी से अध्ययन कर रणनीति तैयार कर क्रियान्वित की जाएगी। कार्यक्रम में प्रो. डाॅ. लतिका व्यास, डाॅ. पी.सी. चपलोत आदि ने भी विचार रखे।
तकनीकी सत्र में हिन्दुस्तान जिंक लि. के पूर्व महाप्रबंधक (वित्त) श्री विद्या विनोद नंदावत ने आर्थिक व वित्तीय प्रबंधन, झील संरक्षण समिति के अध्यक्ष श्री अनिल मेहता ने पेयजल व सिंचाई, श्री कैलाश बृजवासी ने सामाजिक क्षेत्र, श्री महेंद्र सिंह परिहार ने शहरी विकास, श्री संजय नागपाल ने रोजगार व कौशल विकास विषय पर व्याख्यान दिए। डाॅ. विक्रमादित्य दवे ने ऊर्जा क्षेत्र, श्री मनीष गोधा ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, श्री नीतेश त्रिपाठी ने उद्योग क्षेत्र पर विचार रखे। प्रो. पीयूष प्रसाद जानी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन श्रेया भट्ट और मेघना कटारिया ने किया।