उदयपुर। खाद्यान उत्पादन में हम भले ही आत्मनिर्भर बन चुके हैं, लेकिन खाद्य तेल उत्पादन की दिशा में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। खाद्य तेल उत्पादन का एक महत्वपूर्ण घटक है- मूंगफली। ’मूंगफली - 2025’ विषय पर भारत के नामचीन शोध वैज्ञानिक 18 मार्च मंगलवार से उदयुपर में जुटेंगे तथा तीन दिन तक देश भर में मूंगफली अनुसंधान एवं विकास की प्रगति की समीक्षा करेंगे। साथ ही मूंगफली उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कर रणनीतिक योजना तैयार करेंगे
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से सबद्ध भारतीय मूंगफली अनुसंधान संस्थान, जूनागढ़ (गुजरात) एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान) के संयुक्त तत्वावधान में ’मूंगफली - 2025’ विषय पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की वार्षिक समूह बैठक 18 मार्च मंगलवार प्रातः 10 बजे राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में आरंभ होगी। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुलपति एमपीयूएटी डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक होंगे तथा अध्यक्षता आईसीएआर नई दिल्ली के उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. डी. के. यादव करेंगे। अतिथियों का सम्मान आईसीएआर नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (तिलहन एवं दलहन) डॉ. संजीव गुप्ता करेंगे।
आयोजन सचिव निदेशक आईसीएआर आईआईजीआर, जूनागढ़, डॉ. एस.के. बेरा एवं निदेशक अनुसंधान एमपीयूएटी उदयपुर, डॉ. अरविन्द वर्मा को बनाया गया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक जूनागढ़, डॉ. नटराज व डॉ. प्रताप भान सिंह उदयपुर को सह आयोजन सचिव बनाया गया है।
भारत मूंगफली उत्पादन में शीर्ष पर
भारत मूंगफली उत्पादन में विश्व के शीर्ष उत्पादकों में शामिल है। गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान मूंगफली उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं। मूंगफली न केवल खाद्य तेल उत्पादन बल्कि चारा और औद्योगिकी उपयोग के लिए भी महत्वपूर्ण कच्चा माल है। मूंगफली खाद्य तेल और प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है।
वैज्ञानिक तीन दिन तक मूंगफली फसल सुधार, उत्पादन तकनीक, संरक्षण रणनीतियां, ब्रीडर बीज उत्पादन, नई तकनीकें एवं किस्सों की पहचान पर गहन चर्चा करेंगे।