उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वाधान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 21 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम "प्रकृति के साथ सामंजस्यः प्राकृतिक खेती में अनुसंधान और नवाचार" का शुभारंभ अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर में पूर्व कुलपति डॉ. उमा शंकर शर्मा की अध्यक्षता में हुआ।
डॉ. उमा शंकर शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक खेती पर्यावरण के अनुकूल है और इससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे अपने क्षेत्र में ब्रांड एंबेसडर की भूमिका निभाएं। इस प्रशिक्षण में 5 राज्यों के 26 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक, मानव संसाधन, डॉ. एस.के. शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक खेती केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन की प्रक्रिया है। उन्होंने जीवामृत, बीजामृत, धनजीवामृत, आच्छादन एवं जैविक कीटनाशकों के महत्व पर प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथि डॉ. शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खेती के महत्व को देखते हुए स्नातक छात्रों के लिए विशेष पाठ्यक्रम आरंभ किए जा रहे हैं। इस विषय में भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
अनुसंधान निदेशक एवं कोर्स डायरेक्टर डॉ. अरविंद वर्मा ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसमें 49 सैद्धांतिक व्याख्यान, 9 प्रयोगात्मक सत्र एवं 4 भ्रमण शामिल हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती पर सुदृढ़ साहित्य विकसित करने एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर डॉ. आर.एल. सोनी, डॉ. सुनिल जोशी, डॉ. मनोज महला, डॉ. अमित त्रिवेदी, डॉ. रविकांत शर्मा, डॉ. एस.सी. मीणा एवं राजस्थान कृषि महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका शर्मा ने किया।