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फसल विविधिकरण से कृषि लाभप्रदता बढ़ाने पर दो दिवसीय कृषि विस्तार अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

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21 Oct 24
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फसल विविधिकरण से कृषि लाभप्रदता बढ़ाने पर दो दिवसीय कृषि विस्तार अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

बीजोलिया, भीलवाड़ा में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत फसल विविधीकरण परियोजना के तहत दो दिवसीय विस्तार अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। यह कार्यक्रम ’ष्दक्षिणी राजस्थान में फसल विविधिकरण के माध्यम से कृषि स्थिरता और लाभप्रदता बढ़ानाष् शीर्षक के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों को फसल विविधिकरण के नवीनतम तरीकों और तकनीकों से अवगत कराना है, ताकि वे किसानों को बेहतर कृषि स्थिरता और आर्थिक लाभ प्राप्त करने में सहायता कर सकें। कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने फसल विविधिकरण के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिए और बताया कि किस प्रकार यह रणनीति दक्षिणी राजस्थान के किसानों को बेहतर लाभप्रदता और दीर्घकालिक कृषि स्थिरता प्राप्त करने में मदद कर सकती है। परियोजना प्रभारी डॉ. हरि सिंह ने फसल विविधिकरण को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने सफल मामलों के अध्ययन प्रस्तुत किए और जमीनी स्तर पर इन रणनीतियों को लागू करने के व्यावहारिक सुझाव दिए। श्री उदय लाल कोली, कृषि अधिकारी ने फसल विविधिकरण के आर्थिक लाभों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार किसान संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कर सकते हैं और एकल फसल प्रणाली से जुड़े जोखिमों को कम कर सकते हैं। उन्होंने विस्तार अधिकारियों को किसानों को एक अधिक विविधीकृत फसल प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उनकी आय और बाजार के उतार-चढ़ाव के खिलाफ स्थिरता बढ़ सके।
कृषि अधिकारी श्रीमती सोनिया सिलवाटिया ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों, विस्तार अधिकारियों और किसानों के बीच सहयोग किस प्रकार फसल विविधिकरण के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त करने में मदद कर सकता है। श्री मान लक्ष्मी लाल ब्रह्मभट्ट ने फसल विविधिकरण के कार्यान्वयन के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की। उन्होंने किसानों की मदद के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं पर जानकारी प्रदान दी। यह कार्यक्रम अत्यंत जानकारीपूर्ण रहा और प्रतिभागियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में इस ज्ञान को लागू करने की उत्सुकता व्यक्त की, ताकि फसल विविधिकरण के माध्यम से कृषि स्थिरता और लाभप्रदता में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।
 


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