(mohsina bano)
उदयपुर। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने का संकल्प लिया गया। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि आजादी के 77 वर्षों बाद भी राजस्थानी भाषा का तिरस्कार अनुचित है। वे राजस्थानी भाषा विभाग एवं महाराजा मान सिंह पुस्तक प्रकाश के संयुक्त तत्वावधान में स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान दिवस के अवसर पर सभी को मिलकर भाषा को मान्यता दिलाने का संकल्प लेना चाहिए।
राजस्थानी भाषा के लिए साहित्यकारों का समर्थन
कार्यक्रम में कवि एवं आलोचक डॉ. अर्जुन देव चारण ने कहा कि 10 करोड़ लोगों के साथ अन्याय हो रहा है, क्योंकि अब तक राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिली। विभागाध्यक्ष डॉ. गजेन्द्र सिंह राजपुरोहित ने विभाग की 50 वर्षों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर प्रो. कल्याण सिंह शेखावत दंपती और प्रो. सोहनदान चारण को सम्मानित किया गया।
छह पुस्तकों का लोकार्पण
समारोह में भींवसिंह राठौड़, मीनाक्षी बोराणा, धनंजया अमरावत, ओम नागर, महेंद्र सिंह तंवर एवं गजे सिंह राजपुरोहित की पुस्तकों का विमोचन किया गया।
राजस्थानी पगड़ी प्रदर्शनी और सम्मान समारोह
कार्यक्रम स्थल पर राजस्थानी पुस्तक एवं पगड़ी प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें कुलपति डॉ. कर्नाटक को 35 प्रकार की पगड़ियां पहनाकर सम्मानित किया गया। मारवाड़ी, मेवाड़ी और पेशवाड़ी पगड़ियों में वे आकर्षक दिखे।
मायड़ भाषा सेना सम्मान
राजस्थानी भाषा एवं साहित्य में योगदान के लिए डॉ. मंगत बादल, मधु आचार्य, डॉ. मदन सैनी, डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास सहित कई विद्वानों को सम्मानित किया गया। समारोह में साहित्य, शिक्षा और संस्कृति जगत के विद्वान, शोधार्थी एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।