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सुखाड़िया विश्वविद्यालय: केन्द्रीय दर्जे की ओर अग्रसर

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23 Nov 24
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सुखाड़िया विश्वविद्यालय: केन्द्रीय दर्जे की ओर अग्रसर

उदयपुर।मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला ने न केवल कर्मचारियों और शिक्षकों को प्रेरित किया, बल्कि उनके प्रबंधन कौशल को विकसित करने के लिए एक नया मंच भी प्रदान किया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों में तनाव प्रबंधन, समय प्रबंधन और व्यक्तिगत विकास के प्रति जागरूकता लाना था। इस अवसर पर कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, "सुखाड़िया विश्वविद्यालय, केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मापदंडों को पूरा करता है और जल्द ही इसे यह दर्जा दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।"

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अग्रणी भूमिका

कार्यशाला में कुलपति ने जोर दिया कि सुखाड़िया विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में राज्य के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक है। उन्होंने उल्लेख किया कि छात्रों के प्रमाण पत्रों को डिजिटली अपलोड करने की प्रक्रिया में यह विश्वविद्यालय सबसे आगे है। उन्होंने सभी कर्मचारियों से समयबद्धता, निष्ठा और तत्परता के साथ अपने कार्यों को पूरा करने का आग्रह किया।

प्रमुख वक्ताओं के विचार और मार्गदर्शन

कार्यशाला का उद्घाटन परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेश चंद्र कुमावत ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के महत्व और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "वर्तमान समय में तनाव और समय प्रबंधन को समझना आवश्यक हो गया है। व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन में सफलता पाने के लिए इन कौशलों का विकास अनिवार्य है।"
कार्यशाला के मुख्य अतिथि विधि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. आनंद पालीवाल ने जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे करियर, परिवार और व्यक्तिगत तनाव के बीच संतुलन बनाने के व्यावहारिक उपायों पर चर्चा की।
मुख्य वक्ता डॉ. सुरेंद्र छंगानी ने समय और तनाव प्रबंधन के मौलिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे एक बेहतर योजना और अनुशासन के माध्यम से व्यक्ति अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकता है।

कर्मचारियों की भूमिका पर बल

कुलसचिव डॉ. वी.सी. गर्ग ने कर्मचारियों की भूमिका को विश्वविद्यालय के विकास का केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए कर्मचारियों को समर्पण और टीमवर्क के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारियों की प्रतिबद्धता ही किसी संस्थान को उसकी ऊंचाई तक पहुंचाने में मदद करती है।

कार्यशाला में भागीदारी और समापन

कार्यशाला में 140 से अधिक कर्मचारियों और प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें वरिष्ठ लेखाधिकारी डॉ. जी.एल. वसीटा, प्रोग्रामर डॉ. एन.के. पारीख, सहायक कुलसचिव मांगीलाल भील, बी.एल. वर्मा, और चेतना काबरा जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
कार्यशाला का समापन उपकुलसचिव डॉ. मुकेश बारबर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं कर्मचारियों को उनके कार्यों के प्रति अधिक प्रेरित और संगठित बनाती हैं।

यह कार्यशाला न केवल कर्मचारियों के व्यक्तिगत और पेशेवर कौशल को बढ़ाने का माध्यम बनी, बल्कि सुखाड़िया विश्वविद्यालय को केन्द्रीय दर्जा दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हुई।


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