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लेखा एवं सांख्यिकी विभाग में वर्षाजल संरक्षण पर डॉ जैन का व्याख्यान

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30 Aug 24
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लेखा एवं सांख्यिकी विभाग में वर्षाजल संरक्षण पर डॉ जैन का व्याख्यान

मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के लेखा एवम व्यावसायिक सांख्यिकी विभाग में आज वर्षा जल संरक्षण के तरीके एवम महत्व पर व्याख्यान आयोजित किया गया । विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो शूरवीर एस भाणावत् ने  वर्षा जल संरक्षण प्रेरक डा. पी. सी. जैन का अभिनंदन करते हुई बताया कि ग्लोबल वार्मिंग में जल सरंक्षण कैसे उपयोगी हो सकता है। डॉ जैन सामाजिक सरोकारो से जुड़े मुद्दे विशेषकर ड्रग्स पर सामाजिक चेतना जाग्रत करने में समर्पण भाव से लगे हुऐ है।  मुख्य वक्ता डा पी. सी. जैन ने वर्षा जल संरक्षण के महत्व को बताते हुए कहा की वर्षा जल संरक्षण से न केवल भूमिगत जल रिचार्ज होता है वरन इससे भूमि गत जल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है । इसके लिए रेनव् वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बहुत ही उपयोगी साबित होता है।  यह जल में टी डी एस को प्राकृतिक रूप से कम करने का प्रभावी तरीका है। उन्होंने बताया की वर्तमान में आर ओ जल से काफी बिमारिया उत्पन्न हो रही हैं ।
डा. जैन ने वर्षा जल संरक्षण हेतु सिस्टम लगाने के तरीके एवम लागत के बारे में बताया  और कहा कि यदि एक सेंटीमीटर बारिश होती है तो एक स्क्वायर फीट में एक लीटर पानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में जाता है और औसतन हमारे घरों में एक हज़ार स्क्वायर फीट की छत होती है ।यदि १०० सेंटीमीटर वर्षा हो जाती है तो एक लाख लीटर पानी एकत्र होता है जिसकी लागत लगभग बीस लाख रुपये होती है ।कार्यक्रम के अंत में विभागाध्य क्ष ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम में विभाग के सह-आचार्य डा. शिल्पा वर्डीया, डा. शिल्पा लोढ़ा, डा. आशा शर्मा, डा. पारुल दशोरा, विभाग के शोधार्थी एवम विद्यार्थीगण उपस्थित रहे ।


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