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“अलवर-राजस्थान में वैदिक पाठविधि से संचालित आर्ष कन्या गुरुकुल, दाधिया (अलवर)”

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23 Mar 19
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“अलवर-राजस्थान में वैदिक पाठविधि से संचालित  आर्ष कन्या गुरुकुल, दाधिया (अलवर)”

 महर्षि दयानन्द जी द्वारा सत्यार्थप्रकाश में दी गई आर्ष पाठविधि को आधार मानकर देश में अनेक कन्या एवं बालकों के गुरुकुल चल रहे हैं। गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली विश्व की प्राचीनतम श्रेष्ठ शिक्षा आवासीय प्रणाली है। यही एक मात्र शिक्षा प्रणाली है जिसमें बालक बालिकाओं को श्रेष्ठ संस्कार दिये जाते हैं। छात्र-छात्राओं को ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति के स्वरूप के विषय में बताया जाता है। सभी छात्र-छात्रायें प्रातः लगभग 4.00 बजे जागने के साथ ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना, उपासना, सन्ध्या, योगासन, प्राणायाम, ध्यान, अग्निहोत्र यज्ञ, माता-पिता के सम्मान व उनकी सेवा, देश व समाज भक्ति सहित उन्हें सत्याचरण आदि के संस्कार दिये जाते हैं। यह ऐसी शिक्षा पद्धति ऐसी है कि जिससे देश के लोगों को सच्चा आस्तिक, समाज हितैशी, अन्याय, शोषण व भ्रष्टाचार से रहित, देशभक्त तथा चरित्रवान नागरिक बनाया जा सकता है। महर्षि दयानन्द ने वेदों के ज्ञान सहित सभी उपलब्ध सहस्रों शास्त्रीय ग्रन्थों का अध्ययन किया था। उन्होंने योगाभ्यास में ध्यान एवं समाधि आदि सिद्धियों को प्राप्त किया था। उनकी इन उपलब्धियों का कारण उनका श्रेष्ठ गुरुओं से अध्ययन सहित शास्त्रीय शिक्षा का पूर्णतया आचरण करना था। हमारे गुरुकुलों में कन्याओ ंव बालकों को आरम्भ से ही वैदिक पद्धति से श्रेष्ठ संस्कार दिये जाते हैं जिससे उनकी शारीरिक, आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति होती है। यदि वैदिक शिक्षा पद्धति से निर्मित मनुष्यों के उदाहरण जानने हों तो वह हमारे सभी ऋषि-ऋषिकाओं सहित मर्यादा पुरुषोत्तम राम, योगेश्वर कृष्ण, आचार्य चाणक्य, ऋषिका गार्गी, माता सीता, सती अनुसूया, लोपामुद्रा, ऋषि दयानन्द, स्वामी श्रद्धानन्द, पं0 लेखराम, स्वामी दर्शनानन्द, पं0 गुरुदत्त विद्यार्थी, महात्मा हंसराज जी आदि थे। गुरुकुल में कन्या व बालकों को वही संस्कार व शिक्षा दी जाती है जिसे पढ़कर राम, कृष्ण, दयानन्द, सीता जी, रुकमणी जी, गार्गी आदि का निर्माण हुआ था। आधुनिक समय में स्त्री जगत में हमारे गुरुकुलों ने अनेक वेद विदुषी नारियों का निर्माण किया है। इनमें से कुछ नाम हैं डॉ0 आचार्या प्रज्ञा देवी, डॉ. आचार्या मेधादेवी, डॉ0 आचार्या सूर्यादेवी चतुर्वेदा, डॉ0 आचार्या नन्दिता शास्त्री, डॉ0 आचार्या प्रियंवदा वेदभारती, डॉ0 सुकामा, डॉ0 सुमेधा जी आदि। यह सभी वेद विदुषी ऋषिभक्त देवियां गुरुकुलों का संचालन कर रही हैं और इन्होंने सहस्रों कन्याओं को संस्कृत व्याकरण सहित वैदिक वांग्मय का ज्ञान कराया है।

 

                दाधिया-अलवर-राजस्थान में संचालित कन्या गुरुकुल का पूरा नाम है ‘‘आर्ष कन्या गुरुकुल, दाधिया-अलवर-राजस्थान”। इस गुरुकुल की स्थापना सन् 1965 में हुई है।  गुरुकुल के संस्थापक हैं महाशय नन्दलाल (स्वामी यज्ञानन्द जी)। गुरुकुल की प्रबन्ध व्यवस्था के लिये एक संचालन समिति कार्यरत है जो आर्यजगत के यशस्वी नेता श्री रामनाथ सहगल जी की अध्यक्षता व नेतृत्व में कार्य करती है। गुरुकुल गतिशील है और अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये योजना एवं नियमों के अनुसार उन्नति कर रहा है। गुरुकुल में आर्ष पाठविधि से शिक्षण कराया जाता है। गुरुकुल की छात्रायें महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक की परीक्षायें देती हैं। इसी विश्वविद्यालय से गुरुकुल सम्बद्ध है। गुरुकुल कक्षा 6 से 8 तक आर्ष विद्यापीठ गुरुकुल झज्जर से मान्यता प्राप्त है। इससे बड़ी कक्षाओं की मान्यता महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से प्राप्त है। वर्तमान समय में गुरुकुल में कुल 60 छात्रायें अध्ययन कर रही हैं। गुरुकुल की प्राचार्या आचार्या प्रेमलता जी है जो इस गुरुकुल की उन्नति व विकास में सर्वात्मना संलग्न हैं। गुरुकुल विषयक किसी जानकारी के लिये गुरुकुल के हितैषी उनके मोबाइल नं0 9672223865 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

 

                गुरुकुल का परिसर 4 हैक्टेयर भूमि में विस्तृत है। समस्त भूमि गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत है। गुरुकुल में अध्ययन कक्ष, आचार्या कक्ष एवं छात्राओं के लिये छात्रावास सुलभ है। गुरुकुल में गोशाला, पाकशाला एवं भोजनालय सहित एक सभागार भी उपलब्ध है। प्रत्येक वर्ष गुरुकुल के वार्षिकोत्सव आयोजित किये जाते हैं जिसमें निकटवर्ती स्थानों के लोगों सहित आर्यजगत के विद्वान एवं विदुषियां भाग लेते हैं। गुरुकुल की सभी छात्रायें प्रातः 4.00 जागरण कर रात्रि 9.00 बजे तक अपना समस्त समय अध्ययन सहित ईशोपासना, अग्निहोत्र-यज्ञ, योगासन, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान, शुद्ध शाकाहारी पौष्टिक भोजन तथा भ्रमण में व्यतीत करती हैं। गुरुकुल की कुछ अन्य मुख्य बातें व विशेषतायें निम्न हैं:

 

1-  यह गुरुकुल राजस्थान के अलवर जिले का एकमात्र कन्या गुरुकुल है।

2-  गुरुकुल का वातावरण प्राकृतिक एवं स्वच्छ है।

3-  गुरुकुल में विद्युत एवं सौर ऊर्जा की उत्तम व्यवस्था है।

4-  गोशाला का संचालन।

5-  विशाल भवन, यज्ञशाला, सत्संग भवन व तरणताल सुविधायें हैं।

6-  एनएच-8 से मात्र 10 किलोमीटर दूरी व दिल्ली से मात्र 100 किलोमीटर दूरी पर गुरुकुल स्थित है।

7-  वर्तमान में उड़ीसा, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल तथा आसाम आदि राज्यों की कन्यायें गुरुकुल में अध्ययन कर रही हैं।

 

                गुरुकुल सफलतापूर्वक चल रहा है। हम गुरुकुल की सर्वांगीण उन्नति की कामना करते हैं। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121

 

 

 

 

 


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