GMCH STORIES

वर्ल्ड बुक डे: डॉ. अतुल मलिकराम की पुस्तकों के माध्यम से करें समाज, संस्कृति और सतत विकास की यात्रा का अनुभव 

( Read 527 Times)

24 Apr 25
Share |
Print This Page

वर्ल्ड बुक डे: डॉ. अतुल मलिकराम की पुस्तकों के माध्यम से करें समाज, संस्कृति और सतत विकास की यात्रा का अनुभव 

प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को मनाया जाने वाला वर्ल्ड बुक डे, किताबों और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने का एक वैश्विक उत्सव है। यह दिन हमें उन लेखकों की रचनाओं की ओर ले जाता है, जो अपने शब्दों के माध्यम से समाज को नई दिशा और प्रेरणा देते हैं। इस अवसर पर, लेखक, राजनीतिक रणनीतिकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अतुल मलिकराम की छह पुस्तकों 'दिल से', 'गल्लां दिल दी', 'दिल विल', 'दिल दश्त', 'कसक दिल की', और 'दिल मेरा' पर चर्चा करना बेहद प्रासंगिक है। ये पुस्तकें न केवल व्यक्तिगत और सामाजिक अनुभवों का जीवंत दस्तावेज हैं, बल्कि समाज की वर्तमान चुनौतियों और भविष्य के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत करती हैं।

दिल की आवाज़ को शब्दों में पिरोया

डॉ. अतुल मलिकराम की लेखनी का मूल स्वर 'दिल' है, जो उनकी सभी पुस्तकों में एक सामान रूप में उभरता है। इस पर अधिक प्रकाश डालते हुए डॉ मलिकराम कहते हैं , "इन किताबों का उद्देश्य लोगों को उन विषयों की ओर आकर्षित करना है, जिन पर हम चाहकर भी ध्यान नहीं दे पाते।" उनकी पुस्तकें समाज, राजनीति, संस्कृति, शिक्षा, प्रेरणा, व्यवसाय और सतत विकास लक्ष्यों जैसे विविध विषयों को समेटे हुए हैं। ये किताबें न केवल पाठकों को सोचने के लिए मजबूर करती हैं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक कदम बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं।
 
जैसे 'गल्लां दिल दी' पुस्तक सतत विकास लक्ष्यों पर केंद्रित है, जिसमें गरीबी, भुखमरी, लैंगिक समानता और अशिक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों को गहराई से उकेरा गया है। इसके साथ ही, रोम रोम में राम, शब्दों के पीछे के शब्द, और मन की बीमारी जैसे लेख पाठकों को आध्यात्मिक और सामाजिक चिंतन की ओर ले जाते हैं। वहीं 'दिल से' पुस्तक में एकतरफा प्यार, प्रदूषण, गरीबी, और भारतीय संस्कृति जैसे सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ पांच रंगों से सुशोभित तिरंगा और इंदोरी बनने की कला जैसे सांस्कृतिक पहलुओं को छुआ गया है। जबकि 'दिल विल' पुस्तक राजनीतिक विषयों पर केंद्रित है, जिसमें मध्य प्रदेश में तीसरे दल की भूमिका, जेल में तैयार होते अपराधी, और छोटे राज्यों के गठन जैसे विषय शामिल हैं। 

'दिल दश्त' पुस्तक घुमंतू जनजातियों, महिला कैदियों की दुर्दशा, और भारतीय संस्कृति में नाइट कल्चर जैसे अनछुए विषयों को उजागर करती है। इस पुस्तक में चांद पर भारत की पहुंच और टमाटर से सीख जैसे लेख भी पाठकों को प्रेरणा और व्यावसायिक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त 'कसक दिल' की पुस्तक डिजिटल युग के युवाओं, शादी-विवाह की बदलती परिभाषा, और नीतीश कुमार के राजनीतिक चरित्र जैसे विषयों को छूती है। इस पुस्तक में कलम की टीस और शिक्षा प्रणाली में सेक्स एजुकेशन जैसे लेख शिक्षा और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देते नजर आते हैं। हाल ही में आई डॉ मलिकराम की नई पुस्तक 'दिल मेरा' उनके व्यक्तिगत अनुभवों और सामाजिक मुद्दों का मिश्रण है, जो पाठकों को आत्म-चिंतन और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना जगाने में सक्षम महसूस होती है।

डॉ. अतुल मलिकराम केवल एक लेखक ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी भी हैं। वे देश के पहले और एकमात्र एंगर मैनेजमेंट कैफे ‘भड़ास’ के संस्थापक हैं और इंदौर में तीन डे-केयर सेंटर्स का संचालन करते हैं। उनकी सामाजिक संस्था बीइंग रिस्पॉन्सिबल के माध्यम से वे नंगेपांव, मेरा नाम मेरी पहचान, और पक्षियों के लिए दाना-पानी जैसे अभियान चला रहे हैं। उनके सामाजिक योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित गॉडफ्रे फिलिप्स रेड एंड वाइट गोल्ड अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion
Subscribe to Channel

You May Like