समाप्ति की ओर वित्तीय वर्ष,
गणनाओं का बढ़ता हर्ष।
हिसाब-किताब का संकलन,
परिश्रम का होता संचलन।
बिलों की संख्या, समय का भार,
दायित्वों की उमड़ी है धार।
संगठन, संतुलन, संकल्प प्रखर,
कर्तव्य-पथ पर दृढ़ अमर।
सूत्रों का संयोजन सटीक,
प्रबंधन में हो न कोई कमीक।
परिश्रम ही साधन महान,
संतुलित श्रम का हो सम्मान।
सुनिश्चित हो हर एक लेख,
सत्यता से न हटे रेख।
मेहनत से जो सफलता पाए,
सफलता उसके पथ में आए।